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नये महीने की शुरुआत !
शुरू हो गया एक बार फिर से
महिलाओं का हिसाब-किताब…..
तीज त्यौहार के दिन दिख रहे हों आस पास ….
महिला कामकाजी हो या….
घर की व्यवस्था मे, सक्रिय भूमिका निभाने वाली…..
कंधे पर उठा कर रखी हो,परिवार और बच्चों के
व्यवस्थित जीवन की जिम्मेदारी. …..
हर महिला के लिये महीने का शुरुआती दौर
बड़ा कातिल सा लगता है……
पर्स मे रखा हुआ रुपया पैसा……
न जाने किस किस कोने से
किन किन दिशाओं मे फिसलता है……
राष्ट्र की जी डी पी से ज़रा सा अलग थलग ही रहता है
महिलाओं का हिसाब-किताब…..
महंगाई का मुँह जब जब, सुरसा की तरह खुलता है….
तब तब महिला वर्ग चिंताग्रस्त दिखता है……

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आय और व्यय के बीच मे संतुलन को बनाने मे
सबसे पहले हर परिवार में महिलावर्ग ही जूझता है…..
दूसरी तरफ राजनीति के गलियारे मे
चहलकदमी करता हुआ जनप्रतिनिधि……..
किसी भी परिस्थिति मे सिर्फ और सिर्फ…..
वोट बैंक की तरफ ही अपनी नज़रों को रखता है…..
जबकी जनसमुदाय महंगाई जैसे मुद्दे को सर्वोपरि मानता है….
सत्ताधारी राजनीतिक दल हों या
विपक्ष मे बैठे हो सत्ता के इक्षुक धुरंधर….
हर किसी का मतलब जनता से….
अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के मद्देनज़र ही होता है….
किस मुद्दे को ज्वलंत मानकर उठाना है….
किस मुद्दे से पीछा छुड़ाना है….
ये सब राजनीतिक गलियारों का
पसंदीदा खेल होता है…..
महंगाई का तो है इस समय यह हाल…..
त्योंरियाँ डीजल और पेट्रोल की हर समय
चढ़ी हुयी नज़र आती हैं……
सामान्य मुखमुद्रा मे आने के लिए बोलो तो
दूसरे ही दिन, अपने दामों को और बढ़ाती हैं…..
आजकल प्याज! महंगाई के साथ सबसे आगे खड़ी है…
समाज का हर तबका प्याज को लेकर चिंतित दिख रहा है..
लेखक वर्ग प्याज को लेकर अलग- अलग विधाओं के माध्यम से, अपने विचारों को समाज के सामने रख रहा…..
टमाटर का लाल चटकीला रंग भी, समय समय पर रसोई को प्रभावित करता दिख रहा है…
सामान्य जनमानस महंगाई के मुद्दे पर
बाद विवाद और परिचर्चा मे उलझा रह जाता है…..
महंगाई का दानव रुपये को निगलने के लिये
हर समय आतुर नज़र आता है……