आराधना के स्थान हों….
या सड़कों पर चौराहे….
तड़क भड़क वाले बाज़ार हों….
या उत्सव मनाने के हों स्थान….
किन्नरों की तालियों की आवाज हो…..
या युवा,वृद्ध और बच्चों की
भीख माँगती हुई आवाज हो….
हर जगह,बेबसी और लाचारी को
चेहरे पर ओढ़े हुये…..
एक तबका दिख जाता है…..
अपनी अक्षमता के साथ…..
जनमानस की भीड़ में…..
दया को जगाने के लिये….
तरह-तरह के स्वांग के साथ, नज़र आता है…..
इंसानियत, मानवता,करुणा,दया और प्यार….
मानव हृदय मे ,इंसान का होने का जगाते हैं भाव…
चारो तरफ भीख मांगने का बाजार सज गया…
मुनाफे वाला व्यापार,हमेशा से ही….
मानव मन के,कोमल भावों को छल गया…..
लाल बत्ती के साथ चौराहों पर……
भीख मांगने वालों की आवाजों को…..
कार के शीशों की खटखटाहट को…..
हम भी अनसुना और अनदेखा करने की
असफल कोशिश मे रहते हैं…..
अंर्तद्वंद मे कभी कभी मन, उलझ जाता है….
सवालों को सामने खड़ा कर जाता है….
कहीं इंसानियत का भाव !!
हमसे भी कुछ पल के लिये
दूर तो नही चला जाता है !!
सोच मे पड़ जाती हूं…..
इस तरह रास्तों पर भीख देना…..
उचित है या अनुचित…..
जब छोटे बच्चों को, भीख मांगने के लिए …..
हाथ फैलाते हुये देखती हूं ….
हमेशा से सुनी, और समाज मे
आँखों देखी है, यह बात…..
बाल मन और दिमाग होता है
कच्ची माटी समान…..
दया पर जीवन की निर्भरता
सीखता हुआ बचपन. ….
भीख मांगते मांगते….
अपराध के दलदल मे,धँसता हुआ
दिख जाता है…..
भीख मांगते हुए बचपन के पीछे…..
अपराधी ताकतों, और प्रशासन का
गठबंधन नज़र आता है ……
बचपन की हथेलियों मे ….
क्यों थमाते हैं कागज के चंद टुकड़े
या खनकते हुये सिक्के …..
सिखा कर हुनर,जीवन को जीने का ….
परिश्रम का , सार्थक कर्म का
भीख मांगने का व्यापार और अपराध ….
नियंत्रित किया जा सकता है …..
मिसाल समाज मे, विरली ही नज़र आती है …..
जहाँ चंद कागज के टुकड़े, और खनकते हुये सिक्कों की जगह ….
सम्मान के साथ, जीवन को जीने का हुनर सिखाते हुये लोंग …..
भीड़ के बीच मे, अलग ही नज़र आते हैं ……
समाचार पत्रों मे दिखने वाली….
इस तरह की खबरें प्रेरित करती हैं……
गरीबी,बेबसी,लाचारी के कारण
उपजे हुये विषाद के कारण……
अपराध की तरफ,बढ़ते हुए समाज को…..
अंधेरे मे दीपक की रोशनी दिखा जाती हैं……
(चित्र internet से )