समय कितना गतिशील होता है न हम सबको ये पता है ….लेकिन स्वभाव मे फिर भी बेफिक्री रहती है…. अगर ज्यादा सोचा तो दस तरह की बीमारी बिन बुलाये मेहमान जैसे घर के अंदर और कभी न खत्म होने वाला Doctors का अध्याय शुरू ….
अरे! अरे! अरे! अभी तो मैने लिखना शुरू किया था, पहली लाइन मे जो शब्द लिखे थे वो वाला समय कहाँ गया जाऊँ खोजूं क्या उसको ? लेकिन अब तो दूसरी लाइन लिखने का समय आ गया …अब तीसरी …अब चौथी ……….
अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है ,भगवान शिव की आराधना हो रही थी ,सावन का महीना था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी, लेकिन अब तो मौसम बदल गया पतझड़ आ गया। माँ के नौ रूपों की आराधना का समय आ गया …ऐसा ही तो हमारा जीवन भी है …
प्रकृति ही तो है जो हमे हमारे जीवन की सच्चाई बताती है । हमें दर्पण मे हमारा सही चेहरा दिखाती है मौसम का बदलाव सारे ब्रह्माण्ड मे दिखाई देता है। सब कुछ परिवर्तित हो जाता है कुछ भी स्थिर नहीं है …
हमारा जीवन भी तो ऐसा ही है सावन का महीना है तो पतझड़ आयेगा ही आयेगा …कितने आराम से हम पौधों मे से पीले पत्तों को निकाल लेते हैं और अगर हमने अपने हाथ से नहीं निकाला तो प्रकृति अपने आप ही गिरा देती है क्योंकि वो पत्ता तो अपने हिस्से का जीवन जी चुका होता है …..
” क्यूँ जीता है गुरूर मे रे बंदे , कहाँ कहाँ मशगूल रे बंदे
थोड़ा तो कर ले सुकून रे बंदे ,अब तो छोड़ ये गुरूर रे बंदे”
बड़ा ढीठ होता है समय कितना भी पाॅव पटक लो , जिद कर लो , गुस्सा दिखा लो जो समय बीत गया वो वापस नहीं आता इसीलिये हमेशा समय के साथ-साथ चलना चाहिये….मर्जी हमारी अपनी Positivity के साथ चलना है या Negativity के साथ ….
कितना जल्दी बीत जाता है न समय अभी तो दिन की शुरुआत हुई थी…. थोड़ी देर पहले ही तो सूर्योदय हुआ था खिडकी पर पड़े पर्दे के पीछे से सूर्य भगवान अपनी रश्मि फेंक रहे थे पूछ रहे थे क्या हुआ मैडम आज के दिन को ही रविवार मान लिया क्या? मेरा दिन समझ लिया क्या? चलिए उठिये बहुत सो लिया आपने ….
अभी तो दिन की शुरुआत है अपनी आत्मा को जगाइये जुट जाइये कुछ नया करने के लिए….लेकिन नया करने के चक्कर मे अपनी मूलभूत जिम्मेदारियों से मुँह मत फेरना, क्योंकि वो भी कायरता है इसलिये सबसे पहले अपनी प्राथमिकतायें तय करिये…
वैसे ये सूर्य भगवान भी बड़े चंचल है… बिल्कुल छोटे बच्चे जैसे हैं ये… हम बचपन से ये poem सुनते आ रहे हैं कि..
“Early to bed and early to rise
makes a child healthy
wealthy and wise”
हमने चाहे इस poem को अपने जीवन मे उतारा हो या न सूर्य भगवान ने उतारने की पूरी कोशिश की है …लेकिन आजकल थोड़ी बदमाशी करने लगे हैं early to bed तो हो जाते हैं लेकिन early to rise नहीं होते धीरे-धीरे इनकी ये शैतानी बढ़ने वाली है …शीत ऋतु आते-आते और early to bed तो हो जायेंगे और rise होना इनके मूड पर निर्भर करेगा … एक बार मुँह दिखा कर बादलों और कुहरे की रजाई और कंबल ओढ़कर दुबके रहेंगे और हमे मजबूर करेंगे कि हम भी गर्म कपड़े पहने ….
आज बाहर खड़े होने पर मौसम के बदलाव का सा एहसास हुआ….सुबह की हवा मे हल्की सी सिहरन सी थी…. पता नहीं क्या है जैसे ही मौसम बदलना शुरू होता है सबसे पहले मुझे ही पता चलता है लगता है बहुत घनिष्ठ रिश्ता है मेरा और प्रकृति का …
आजकल हवा मे भक्ति की खुशबू है… त्योहारों की महक है ….नवरात्रि का समय है देवी माँ की कृपा सब के ऊपर बनी रहे… यहीं से Positivity की शुरुआत होती है ..बिना आस्था और भक्ति के कुछ भी संभव नही है …जितना मन का कालापन है उसे माँ के हवनकुण्ड मे स्वधा रूप मे स्वाहा कर दो साफ सुथरा मन लेकर आगे चलना ही positivity है …
माँ के अलग -अलग-अलग रूप हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं …थोड़ी सी आराधना कर लो मन खुश हो जाता है… इतना आत्मविश्वास बढ़ जाता है कि, सामने आने वाली हर परेशानी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की हिम्मत आ जाती है….बिल्कुल वैसा वाला एहसास होता है कि आप एक छोटे से बच्चे हो और माँ ने आपका हाथ कस कर पकड़ा हुआ है कि कहीं भीड़ में आप गुम न जाओ….
यही तो भगवान के ऊपर आपका विश्वास है वो चाहे शिव रूप मे हो या देवी रूप मे आस्था कभी बेकार नहीं जाती…अवचेतन मन ये सब जानता है ….आप रणभूमि मे आस्था के साथ उतरिये भगवान का मानस रूप हमेशा आपके साथ-साथ चलता है और वो आपकी परछाई बन जाते हैं….
(समस्त चित्र internet के द्वारा ) .