सुन ऐ अवनि ! तू ही बता
क्या हैं बेटियां…
सुन ऐ अंबर ! तू ही बता
क्या हैं बेटियां…
सुना तो हमने भी है…
पढ़ा तो हमने भी है…
प्रकृति का कोमल सा अहसास है बेटियां…
बारिश की झींन्ही सी फुहार…
पत्तियों पर बैठी हुई…
चमकीली सी बूंदों का प्रकाश…
हिमालय की अटल सी चट्टान…
चिड़ियों के चहकने की आवाज़…
सुन ऐ सागर ! तू ही बता
क्या है बेटियां…
सुन ऐ नदी ! तू ही बता
क्या है बेटियां…
सागर की गहराईयों में
सीपियों में छिपा अनमोल मोती…
गंगोत्री यमुनोत्री से निकल
पावन, पवित्र और निश्छल सी बहती…
सुन ऐ मणि माणिक ! तू ही बता
क्या है बेटियां…
आग में तपकर चमका हुआ सोना या कुंदन..
कठोर सा दिखता लेकिन ,क्या चमकता हुआ हीरा..
सुन ऐ देवगण ,यक्ष ,राक्षस ! तू ही बता
क्या है बेटियां…
मस्तक पर लगा चन्दन का टीका या रोली…
कलाई पर बंधा रक्षा सूत्र या मोली…
देवियों में माँ लक्ष्मी ,शारदा या दुर्गा का रूप..
सुन ऐ अवनि ! तू ही बता…
बेटियां
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