था बहुत खुशनुमा सा दिन….
लेकिन लग रहा था,सामान्य सा ही दिन…..
आकाश का नीला सा रंग,कहीं खोया हुआ था….
आकाश मे काले तो नही,लेकिन भूरे से बादलों का डेरा था….
भूरे बादलों के साथ ,हर किसी को
बारिश की बूँदों की आस थी……
लेकिन खुशनुमा मौसम मे भी…..
घर से बाहर निकलने मे
आलस सबसे बड़ी बात थी…..
हमने भी सोचा,आज मौसम के साथ चलते हैं….
अपने वाहन के साथ नही
सार्वजनिक परिवहन के साथ चलते हैं…..
दिल्ली शहर की, एक बात सबसे निराली है……
घर से बाहर निकलते ही,सार्वजनिक परिवहन के रूप मे
मेट्रो ट्रेन, सुविधाजनक होने के कारण
जन जन की प्यारी है….
मेट्रो के अंदर,यात्रियों का क्रियाकलाप दिख रहा था….
कहीं कोई वाकयुद्ध कर रहा था….
कोई अपने विचारों के तानेबाने, बुन रहा था…
तो कोई बुने हुए ताने बाने को, उधेड़ रहा था…
खिड़की से बाहर देखा तो….
आकाश भी रह-रह कर, अपने रंगों को बदल रहा था…
बगल मे बैठा बच्चा भी…
खिड़की से बाहर देखने के लिये, मचल रहा था….
बाल सुलभ चंचलता भी चेहरे पर
मुस्कान ला देती हैं ….
अबोध बच्चे का कौतूहल,और जिज्ञासा के साथ ही
अपनी माँ के प्रति प्यार….
माँ के अंदर भी,ममता और दुलार के भाव को
जगा देती है…..
हमेशा की तरह ,दिल्ली शहर की बात कह लो…..
कानो मे लगे हुये इयर फोन और, लटके हुये तारों के साथ ही
वार्तालाप था…
खिड़की से बाहर देखा तो दिन मे ही अंधेरा था……
उमड़ते घुमड़ते काले बादलों ने
अब बारिश का रूप धर लिया…..
झमाझम बारिश को देखते ही
हर किसी का चेहरा खिला…..
बारिश की बूँदें भी प्रकृति की
कितनी प्यारी सी सौगात होती हैं….
लेकिन महानगरों मे बारिश के बाद
सड़कें खस्ताहाल होती हैं….
जगह जगह दिख गये, गाड़ियों के पहिये जाम….
रास्तों पर बहता दिखा पानी का सैलाब…
अचानक से लग गया, शहर की रफ्तार को लगाम….
कहीं जलभराव, कहीं सिंग्नल खराब….
कहीं तो सड़क धँसी….
देखते ही देखते सामान्य जनता….
प्रशासन के ढीले ढाले रवैये के कारण
मुसीबत की बारिश मे फँसी….
इस तरह की मुसीबतें, बारिश के दौरान
आम हो गयी….
प्रशासन की लापरवाही की बातें भी
अब दबी जुबान से नही
खुलेआम हो रही…..
तमाम मुसीबतों के बीच मे भी….
बारिश की बूँदों की शीतलता….
चेहरों पर मुस्कान लाने का काम कर गयी…..