सकारात्मक सोच और आत्मबल हर मर्ज
की दवा होती है क्या?
जीवन की राह में चलता हुआ इंसान…..
कभी थका हुआ तो कभी हारा
हुआ सा दिखता है…..
कहीं इंसान अपराध बोध से तो कहीं
नकारात्मक सोच से घिरा होता है……
जीवन की राह में सांसें क्या अर्ज करेंगी
वो इंसान को कहां पता होता है……
सकारात्मक सोच और आत्मबल के परिणाम
खोजने के लिए हर कोई उत्सुक
नज़र आता है……
समस्याएं हर किसी के जीवन में आती हैं……
परेशानियों के ऊपर किसी का जोर नहीं चलता है……
सलाह, संबंध,बातें हर चीज अपनी जगह
पर रह जाती है…..
जब खुद से लड़कर आगे बढ़ने की बात आती है……
मानसिक हो या हों शारीरिक व्याधियां…..
आत्मबल और सकारात्मक सोच
काम गज़ब का करते हैं…..
शब्दों के जरिए सकारात्मक विचार और नकारात्मक विचार
दोनों ही समाज के ऊपर अपना प्रभाव डालते हैं……
छोटा सा सकारात्मक प्रयास भी अपना
असर दिखा जाता है…..
आत्मबल हीन व्यक्ति को भी आत्मविश्वास से
भरकर जीवन के संग्राम में उतार सकता है……
वहीं दूसरी तरफ नकारात्मक विचार भी अपना प्रभाव डालते हैं
अच्छे खासे व्यक्ति को भी नकारात्मक सोच के
मकड़जाल में उलझा सकते हैं…..
तरह तरह की व्याधियों मे भी सकारात्मक सोच
रामबाण का काम करती है……
थके और हारे हुए इंसान को आत्मविश्वास
से भरती है……
इंसान के सोचने का दृष्टिकोण बदल जाता है…
सकारात्मक सोच जीवन को जीने की ललक जगाती है……
आखिरकार परिणाम यह निकलता है कि
जीवन की राह में सांसें क्या अर्ज करेंगी……
यह मर्ज पूरी तरह से सकारात्मक सोच
और आत्मबल पर ही निर्भर करता है…….
(सभी चित्र इन्टरनेट से)