“प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं
सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्”
जो इन्द्र आदि देवेश्वरों के समूह से वन्दनीय हैं,जो अनाथों के बन्धु हैं,जिनके कपोल सिन्दूर राशि से रंगे हैं,जो प्रबल विघ्नों का खण्डन करने के लिए, प्रचण्ड दण्डस्वरूप हैं….
जो इन्द्र आदि देवेश्वरों के समूह से वन्दनीय हैं,जो अनाथों के बन्धु हैं,जिनके कपोल सिन्दूर राशि से रंगे हैं,जो प्रबल विघ्नों का खण्डन करने के लिए, प्रचण्ड दण्डस्वरूप हैं….
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Nice post
Thanks😊