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Daily LifeShort Stories

पहचान दिल्ली शहर की

by 2974shikhat November 21, 2018
by 2974shikhat November 21, 2018

कभी कभी सोचती हूं कुछ सार्थक सा लिखने को,तब विचार भी आरामतलबी के अंदाज मे नज़र आते हैं…

तब जीवन की छोटी छोटी चीजें ही, प्रेरणास्रोत बन जाती हैं ….
हमारे दिल्ली शहर को,माना तो दिलवालों का शहर जाता है….
दिखते भी हैं लोग,जिंदादिली से अपना जीवन जीते हुए …

शायद!छोटे छोटे पलों को इकट्ठा करके….

चिंताओं और व्यस्तता को ,धूल के समान झाड़कर…

खुद मे स्फूर्ति भरने के अंदाज मे इंसान ,घर से बाहर निकलता है…..

माॅल हो या शहर के बाजारों के हिस्से
रेस्टोरेंट हो या नुक्कड़ों की दुकानें ,हर समय चहल पहल नज़र आती है…..
किस्से कहानियों की महफिल यहाँ भी सजी हुई दिख जाती है…..
स्ट्रीट फूड को बेइंतहा चाहने वाले दिल्ली शहर का, एक बड़ा तबका,जगह जगह फूड स्टाल पर खड़ा दिख जाता है….
मेट्रो ट्रेन और स्टेशन की चमक दमक एवम् सहूलियत, दिल्ली वालों को भाती है….
छोटे बच्चों का उत्साह, मेट्रो की यात्रा के दौरान नज़र आता है….
संभल कर खड़े रहने के लिए लगे हुये हैंडल हो या,मेट्रो के भीतर लगे हुये खंबे….
बच्चों के खेल और खिलौनों का ही हिस्सा बन जाते हैं….
मेट्रो के सफर के दौरान, किसी न किसी कोने से “रिंगा रिंगा रोजेस”के साथ बच्चों की खिलखिलाहट सुनायी पड़ जाती है….
निश्चित तौर पर नन्हे बच्चों की सरलता, मन को भा जाती है….
मोबाइल की दुनिया मे उलझी हुई भीड़ के बीच मे ये छोटे बच्चे, सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हुए लगते हैं….
और एक बार फिर से दिल्ली शहर के बारे मे, गहराई से सोचने पर मजबूर कर देते हैं…….

शायद! यही है,हमारे दिल्ली शहर की वास्तविक पहचान…..

वक्त की तेज भागती हुई रफ्तार…..

लेकिन जगह जगह गाड़ियों के पहिये जाम….

प्रदूषण की समय बेसमय की मार….

प्रदूषण से बचने के लिए मास्क,पहने हुए इंसान….

चेहरे को हमेशा सजा सँवारकर रखने वाला दिल्ली शहर….

हैरान परेशान सा नज़र आता है….

चेहरे की सारी की सारी खूबसूरती,धरी की धरी रह जाती है…..

जब प्रदूषण की मार,चेहरे को ढॅक कर बाहर निकलने पर

मजबूर करती दिख जाती है…..


इंटरनेट की दुनिया में डूबा हुआ समाज…..

 सुकून, खुशी और विश्वास को तलाशता दिखता…..

कभी अविश्वास के झूलों मे झूलता दिखता…..

वहीं दिखती छोटे बच्चों की बेफिक्री…..

जिन्हें हमेशा खेलने की और,उछल कूद मचाने की पड़ी…..

कार्यस्थलों मे होनेवाली प्रतिस्पर्धा….

माथे पर सलवटें ला देती है….

ज़रा सा और.. और… और.. और, हासिल करने की चिंता….

पता नही कब ,मानसिक और शारीरिक व्याधियों के पास,पहुंचा देती है….

कहीं दिखती युवाओं की आपसी तकरार…..

कहीं अपनी चिंताओं को एक तरफ रख कर….

सुकून की तलाश मे  इंसान दिखते…..

कहीं काफी और चाय की चुस्कियों के बीच

फुरसत के पल दिखते….

रोज के जीवन मे, भागादौड़ी करता दिखता जनसैलाब….

लेकिन छोटी छोटी खुशियों को,नजरंदाज करता समाज और परिवार….

शायद यही है दिल्ली शहर की वास्तविक पहचान….

AdaptationBe HappyDelhiEntertainmentExpressionFeeling of positivityHard workHuman behaviorRat racesocietyStruggleThoughtsWriting
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1 comment

Manisha Kumari November 30, 2018 - 1:01 pm

कभी कभी मुझे भी यही महसूस होता है,
इतना समय निकल जाने के बाद भी पराया ही लगता है।

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About Me

About Me

कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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