देखते ही देखते गुजर गया साल २०२१
मन ,दिमाग और याददाश्त सबको , चुस्त- दुरुस्त कर के देखो तो , वही पुराना राग ।
पड़ोसी देशों के साथ अब सुधरेंगे सम्बन्ध ,राजनीति के अखाड़े में नई उठा – पटक ,देश विकास की तरफ तीव्र गति से दौड़ेगा।
विश्व स्तर पर लोगों के जीवन में तमाम झंझावात ।
कमर कस कर लड़ने को तैयार जैविक आपदा !
अनेक परिवारों को हिलाकर – जीवन का महत्व,अपनों का साथ ,प्यार और विश्वास ,स्नेह की सौगात ,जीवन के तमाम भावों को अपने आइने में दिखाकर, सरक सा गया साल २०२१।
नया साल भी हमेशा , गुलाबी ठंडक ओढ़कर मदमस्त चला आता है, पता नहीं भविष्य के पिटारे में क्या – क्या छुपाये रहता है।
महीने सरकते जाते हैं। रोज की दिनचर्या के साथ अनुभवों के नये पन्ने ,जीवन की किताब से जुड़ते जाते हैं।
नववर्ष का स्वागत करता हुआ जन – जीवन और सर्द मौसम….
मकर संक्रांति पर खिचड़ी का दान और स्नान। लोहड़ी पर ढोल की थाप ,थिरकते हुए पाँव और चमकीले – चटकीले से परिधान।
भारत भूमि का हर प्रान्त थिरकता सा लगता है। अलग-अलग नाम से त्योहार को मनाता हुआ दिखता है न।
नये साल में सर्दियों की धूप भी कितनी बातूनी।
दुनिया जहाँ की बातों का पिटारा,चहल-पहल से गुलज़ार आँगन, बालकनी और गलियारा।
धूप भी लगती हठीली सी ,कभी चटकीली तो कभी शर्मीली सी ,कभी लगती नन्हे बच्चों सी चपल -चंचल।
नये साल में सर्द हवाओं के साथ वायु प्रदूषण का बुरा हाल , आम खास सभी वर्ग मौसमी सर्दी जुकाम से बेहाल।
जन समुदाय, नये साल के उत्साह के साथ जरा सा भयग्रस्त भी दिखा। मौसमी सर्दी जुकाम के पीछे कहीं ओमीक्रोन नामक वेरिएंट तो नहीं छुपा ?
भय गलत नहीं था ,एक बार फिर से बढ़ते दिखे मामले। खैर, साल के पहले महीने के आगे बढ़ते ही जनजीवन भी आगे बढ़ चला। मास्क को अनिवार्य मान कर , साफ़ सफाई के महत्व को समझकर, हर व्यक्ति अपनी कर्मभूमि पर कुछ बेहतर करने की चाह से बढ़ चला।
नये उत्साह के साथ ,नववर्ष की शुभकामनायें अगले नववर्ष तक साथ चलती रहें। जीवन के सफर में उत्तम स्वास्थ ,प्रफुल्ल्ता और सफलताओं के रूप में फलती – फूलती रहें।