नन्हे कदमों का साथ
कल हो गयी अचानक से
बाल सुलभ चंचलता से भरा हुआ…..
अपने नन्हे-नन्हे पैरों से
बार बार गिरता,उठता, सँभलता
मासूम से चेहरे पर मासूमियत
चेहरे पर बिखरी हुई मुस्कान
चलने की धुन मे ऐसा लग रहा था
सधे हुए कदमों के बावजूद
मै थी उसके चलने पर सशंकित सी…..
लेकिन एक सवाल बार-बार दिमाग मे आ रहा था…..
निश्छल नि:स्वार्थ भाव से मदद के लिए
कई लोग उसकी भाव भंगिमा और उसके
कुछ लोग उसके गिरने पर ठहाके लगा रहे थे….
अचानक से लोगो का सैलाब सा आया….
देख कर लोगो का हुजूम…..
अचानक से ये क्या हो गया जैसे भाव
भीड़ मे खड़े लोगो के चेहरे उसके प्रयास
नन्हा सा बच्चा सैलाब को देखकर
आश्वस्त होने के बाद एक बार फिर से
छोटे बच्चे का उत्साह और आत्मविश्वास
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वात्सल्य और उत्साह से भरी हुई है आपकी यह कविता।
धन्यवाद 😊
How cute
😊
Really well written
Thanks 😊