चारो तरफ दिख रहा है,आस्था और भक्ति के साथ
नवरात्र के उत्सव का उत्साह ……
उपासना के स्थल सजे सँवरे से दिख रहे हैं…
चारो तरफ देवी माँ के जयकारे के
स्वर उठ रहे हैं……
शरदीय नवरात्र के उत्साह मे डूबा सारा देश दिख रहा है…. जगह जगह पंडालों और मैदान मे रामलीला के साथ मंच सज रहा है…..
नवरात्र के साथ ही,कन्या पूजन का आ गया एक बार फिर से समय……
हर व्यक्ति के कदम, कन्याओं की पूजा के साथ देवी की तरफ ,आस्था और विश्वास के साथ मुड़ रहे हैं…..
भारतीय सामाजिक व्यवस्था और सभ्यता मे ,कभी-कभी अशक्त सी लगती है,बेटियों और स्त्रियों की आवाज…..जब भारतीय सामाजिक परिवेश मे बेटियाँ खोजती दिखती हैं,अपने अस्तित्व की पहचान…..
पुरुषों के वर्चस्व के तले….भारतीय समाज शनै:शनै: आगे बढ़ता दिखता….
शिक्षित और अशिक्षित समाज के बीच मे…..उन्नीस और बीस के ही फेर मे, दिखता है इंसान …..जब समाज मे स्त्रियों की स्थिति को
जाँचता और परखता है…..
विकास के पथ पर आगे बढ़ता हुआ दिखता है ,हमारा देश ……शहरों, महानगरों, गाँव, कस्बों मेसार्वजनिक स्थानों मे अपनी तरफ ध्यान खींचते हैं….
समाज को सुधारने की कोशिश मे बनाये गये नारे…….
“बेटियाँ हमारा स्वाभिमान”
“बेटियाँ !देश का गौरव और अभिमान”
“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”
यह कैसी विडंबना है ? उंगलियों के पोरों पर ,गिनेचुने ही होंगे बेटियों के नाम……जहाँ बेटियों को मिली है,उनकी वास्तविक पहचान और सम्मान……
आश्चर्य मे डालती है,एक स्त्री होने के कारण, यह बात ! बेटे के जन्म पर,ढोल,बैंड बाजे और,तमाम देवी देवताओं की बारात …..बेटी के जन्म पर मायूसी, और भविष्य मे सुरक्षा की चिंता मे डूबता उतराता,परिवार और समाज …...
बात सिर्फ विज्ञापनों और नारों के माध्यम से ही ,समाज सुधार की तरफ अग्रसर होती नही दिखती …..बदलाव की बयार ,युवा समाज के आगे आने से ही चलेगी …..आखिर कब तक बेटियाँ ! समाज की मानसिकता के तले अपने सम्मान और अस्तित्व के लिए लड़ेंगी …..
कभी तो बदलेगा ! युवाओं के आगे आने से भारतीय समाज …हर स्त्री को ,अपने स्तर पर करने होंगे ,छोटे छोटे ही, लेकिन सार्थक प्रयास …..
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virodhabhaash ko darshaati satya evam behtarin lekhan.👌👌
मेरा लेखन पढ़कर टिप्पणी करने के लिये धन्यवाद 😊