अवसर हो जन्मदिन का
दिख रही हो साज संवार…
हँसते खेलते बच्चे ऐसे दिखते मानो…
नर्म दूब पर चमकीली सी ओस की बूँद की खिलखिलाहट…
कहीं रंग बिरंगे गुब्बारों से सजी दिखती दीवार…
कहीं रूठे हुए बच्चों के फूले हुए से गाल….
कहीं झिलमिलाती हुई सी रोशनी…
कहीं रंगबिरंगी झालरों की कतार…
विशेष सी जगह पर , मंत्रमुग्ध सा रखा हो सजा संवरा सा केक…
ऐसा लगता कर रहा हो तालियों के बीच…
हैप्पी बर्थडे टू यू जैसे लयबद्ध बोल का इंतज़ार…
जब आता है ऐसा अवसर, तब किसी गीत या कविता से इंसान ,लम्बे समय से जुड़ा महसूस करता है।
बरबस ही उत्सव का उत्साह व उल्लास , मानस पटल पर उतर आता है।
१९६४ में बनी फिल्म “दूर की आवाज”की आवाज का एक गाना ,आज भी उतना ही प्रासंगिक लगता है जितना, उस समय उस दृश्य को फिल्माते हुए लगा होगा –
“हम भी अगर बच्चे होते नाम हमारा होता गबलू – डबलू
खाने को मिलते लड्डू तो दुनिया कहती हैप्पी बर्थडे टू यू”
यूँ तो केक काटने की परंपरा हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अंग नहीं थी ,लेकिन भारतीय सिनेमा जगत का और ऐसे मस्त मौला गीत का महत्वपूर्ण योगदान रहा होगा, इस संस्कृति को भारतीय समाज में घुलने मिलाने में।
जन्मदिन के अवसर पर शुभकामनाओं के सन्देश ,आशीर्वाद का हाथ ,स्वस्थ जीवन की चाह,आसपास शुभचिंतकों की दुआओं के होने का अहसास, हर व्यक्ति को जीवन का सकारात्मक पहलू दिखा जाता है।
एकबार फिर से गीत के बोल ,बचपन के खेल और बाल मनोविज्ञान को समझते से लगते हैं…
“अक्कड़ बक्कड़ ,लुक्का छिप्पी ,कभी छुआ -छू
करते दिनभर हल्ला – गुल्ला ,दंगा और उधम
और कभी जिद पर अड़ जाते जैसे अड़ियल टट्टू
और दुनिया कहती हैप्पी बर्थडे टू यू “
भारतीय परंपरा में जन्मदिन के अवसर पर व्यक्ति धार्मिक भी हो जाता है। अपने जीवन को ईश्वर की सौगात मानकर, मस्तक को ऊपर वाले के दरबार में झुका देता है।कहीं सुनाई पड़ती है घंटों की आवाज और शंखनाद ,कहीं श्रद्धा से भरे हुए शब्दों की आवाज।
एक बार फिर से नाज़ नखरे से भरे गीत के बोल –
“कैसे कैसे नखरे करते घरवालों से हम
पल में हँसते पल में रोते
नाक में करते दम
और दुनिया कहती हैप्पी बर्थडे टू यू”
जन्मदिन के अवसर पर खाने का बेहतर स्वाद ,अच्छा परिधान ,उत्सव और उल्लास। जीवन में खुश रहने के लिए बेहद जरूरी होता है ,यह बात निश्चित रूप से स्वीकार करने योग्य है।
ऐसे अवसर जो उपहार के रूप में खुद से गुणवत्ता वाली जीवनशैली को मांगते हैं ,शुभ अवसरों पर खाने की बर्बादी ,अल्कोहल का गर्व के साथ उपयोग,स्वस्थ जीवन का दुरूपयोग उचित है क्या?
यह सवाल बार बार सामने आता है न !