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समय बड़ी तेजी से परिर्वतित होता है,आज का समय टैक्नोलॉजी का है….
टैक्नोलॉजी और दैनिक जीवन की जरूरतें आपस मे इतना घुल मिल गयी हैं कि, इनकी अनुपस्थिति की आप कल्पना भी नही कर सकते हैं…
आजकल मेरे ख्याल से टैक्नोलॉजी से संबंधित सबसे उपयोगी सामान ! मोबाइल फोन हो गया है ……
संबंधों को जीवित रखने मे महत्वपूर्ण कड़ी का काम करता है…
मोबाइल फोन के बिना हर किसी को अपना जीवन ,असंभव सा लगता है….
अगर आपके पास स्मार्ट फोन है तब तो “सोने पर सुहागा” वाली बात हो जाती है ….
लेकिन ! सबसे बड़ी समस्या तब आती है जब लोग, अपने फोन को इधर उधर रख कर भूल जाते है …..
या अपने फोन की टच स्क्रीन की गलती के कारण , असहज स्थिति मे पहुँच जाते है ….
इसी तरह की छोटी-छोटी चीजों को मैने अपने आस पास भी बड़े ध्यान से देखने के बाद कुछ लिखना शुरू किया …..

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मेरा मोबाइल फ़ोन भी आजकल अपनी ज्यादा ही अक्ल
लगाने लगा है…..
कुछ भी टाइप करते ही अपने दिमाग का भरपूर उपयोग
करने लगता है…..
आटोकरैक्ट से हमेशा सुधारने मे जुट जाता है….
हमेशा हमारे आंग्लभाषा के ज्ञान पर प्रश्नचिन्ह (??)लगाता है…
मानो या न मानो ! सिर्फ इसी कारण से कई बार अर्थ का अनर्थ
कराता है…
अगर आप लोगों के पास हो इसका कोई हल….
तो जल्दी बतायें मुझे बिना व्यर्थ किये एक पल….
सौहार्दपूर्ण वार्तालाप करते हुये हमने उसे समझाया ….
कभी-कभी दूसरे को भी समझ लिया करो
अपने से ज्यादा अक्लमंद ….
चला करो हमेशा ज़रा सा मंद ….
आधा अधूरा ही टाइप कर पाती हूँ ,तभी तुम दौड़ लगाते हो ….
आधा पीछे ही रह जाता है और ,आधे मैसेज को ही दूसरों के
पास पहुँचाते हो….
हिन्दी भाषा की वर्णमाला को बिना सोचे समझे
अंग्रेजी के एल्फाबेट से जाँचते हो….
सही लिखे हुये शब्दों को भी सुधारने मे जुट जाते हो…..
बार बार समझाने पर खुद पर इतराते हो….
हर समय सजाते रहते हो अपने आप को व्हाटसएप के जोक्स से …
जोक्स के चक्कर मे डालते हो लोगों की काल्स को वेट पे …
खबरदार ! अगर किया वीडियोज़ को आपरेट ….
करते रहा करो हमेशा अपने आप को नये मैसेज से अपडेट …
दिखते तो हो शक्ल सूरत से ठीक ठाक ….
क्यों नही ,आखिर मिला जो है तुम्हे स्मार्ट फोन का खिताब ….
समझाती हूँ तुम्हे हमेशा प्यार से , मत इतराया करो घमंड से …
फुल बैटरी के साथ घूमते हो हमेशा,हमारे ही कर्म से ….
खुश होकर अपनी प्रफुल्लता दिखाते हो….
मैसेज की बीप के बहाने ही अपनी
उपस्थिति दर्शाते हो….
समझा रही हूँ तुम्हें कई दिनो से ,मत लगाया करो अपनी ज्यादा अक्ल….
अब जाओ जाकर सुधार लो जरा अपनी शक्ल….
कल की ही तो बात है,तुम घूम रहे थे रसोई के आसपास …
तेल को समझ लिया था साज श्रृंगार का सामान…
आटोकरैक्ट करते-करते …
लगा लिया था वहाँ पर भी अपना दिमाग ….
अभी के अभी तुम अपनी लक्ष्मण रेखा निर्धारित करो ….
कम से कम बाथरूम और फ्रिज से तो दूर रहो …
नही तो पड़ जाओगे बुरी तरह से बीमार ….
मै नही तुम्हारी तीमारदारी के लिये तैयार ….

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बहुत बढ़ गया है आजकल तुम्हारा मन …..
उस दिन सब्जी की टोकरी मे ही आराम फरमा रहे थे……
इसी बहाने धनिया की पत्ती और हरी मिर्ची से दोस्ती बढ़ा रहे थे….
किसी दिन हो जाओगे कढ़ाई मे डीप फ्राई …..
फिर मत आना कूदते फांदते हुये मेरे पास मेरे भाई ….
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हाहाहा…..क्या जीवंत वर्णन किया है आपने मोबाइल मुश्किलो का. कभी कभी मन में ख़याल आता है , काश मोबाईल जवाब दे पाता -“मैं यहाँ हूँ !!! तुम्हारे तकिये के नीचे…..😊😊😊😊
आपने मेरे मन की बात कह डाली काश ! ऐसा होता तो मेरी आधी समस्या का समाधान बिना इस पोस्ट को लिखे ही हो जाता , मेरे मोबाइल ने ही मजबूर कर दिया मुझे उसकी बुराई करने के लिये 😊
Hehehehehe😀😀😀👍👍👍
😊😊