जीवन के सफर मे
भोर से लेकर रात तक की दिनचर्या मे
संचार माध्यम, मित्र, परिवार
साथ मे काम करने वाले लोगों के साथ
एक अनोखा संसार र्निमित होता है
सामाजिकता के साथ समाज
खड़ा होता है ।
इन सब के बीच मे एक शब्द
“गपशप” मुखरता से दिख जाता है ।
मानसिक संतुलन बनाने और बिगाड़ने मे
अपना महत्वपूर्ण योगदान देता चला जाता है ।
ध्यान से देखो अगर समाज को तो
कहीं तो माहौल “गपशप” के साथ
खुशनुमा सा नज़र आता है ।
कहीं तो कोई मुँह फुलाकर
महफिल के बीच मे से खिसकता
तो कहीं क्रोध मे बिदकता सा दिख जाता है ।
कभी और कहीं, यही “गपशप”
प्रपंच का रूप धारण कर लेती है ।
देखते ही देखते कभी अनजाने मे
कभी जानबूझ कर
स्वस्थ वार्तालाप के रास्ते से
भटकती नज़र आती है ।
सकारात्मक दृष्टिकोण से अगर देखो तो
“गपशप” भी जीवन को स्वस्थ रखने के लिए
जरूरी होती है ।
इंसान अपने मन के गुबार को
बाँट सकता है ।
धुँए के गुबार को
छाँट सकता है ।
दूसरे का अहित सोचे बिना भी
गपशप के साथ हो सकता है ।
आजकल इंसान के मन और मस्तिष्क के सहयोग के लिये
अनेक माध्यम साथ मे खड़े दिख जाते हैं ।
संचार माध्यमों के साथ मे चलिये तो
मुख्य समाचार पत्र और उसके साथ आने वाले परिशिष्ट
समाज मे होने वाली तमाम बातें बतला जाते हैं ।
चटपटी गपशप,भीतर की बात,गहरा आघात ।
किसका विवाह किसके साथ ।
किसका अलगाव हफ्ते या महीने के बाद ।
दिमाग की कसरत सुडोकू का साथ ।
राशिफल की बात ।
समाज मे बदलाव की बयार ।
किसका किसके बारे मे क्या है ख्याल ।
कपड़ों का नया ट्रेंड हो या
जन्मदिन का उत्सव ।
अखबारों के भीतर ही सिमटती
देश और विदेश की “गपशप”।
दृश्य माध्यम के रूप मे अगर चाहिये गपशप का साथ ।
टेलीविजन भी अपनी “गपशप” का पिटारा खोलता नज़र आता है ।
आज का समय विकास के साथ है ।
“गपशप” का वृहत सा संसार है ।
समाचार पत्र, टेलीविजन, रेडियो और सोशल मीडिया के इस युग ने
“गपशप”को एक नया रूप दे डाला ।
समाज ने “गपशप” को कभी प्रपंच के साथ
तो कभी प्रपंच से परे रख कर स्वीकारा है ।
क्योंकि बदलते हुए समाज मे
“गपशप” का बोलबाला है ।
0 comment
संवाद बना रहना जरूरी है, अच्छा लेख
स्वस्थ संवाद हमेशा स्वस्थ समाज के लिए जरूरी होता है ।
लेख को पढ़कर विचार व्यक्त करने के लिए धन्यवाद ।
😁