पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि उद्दालक का एक शिष्य था जिसका नाम कहोड था।
कहोड ने अपने गुरु की सेवा बहुत मन लगा कर की , सेवा से प्रसन्न होकर ऋषि उद्दालक ने सभी वेद बहुत जल्दी ही पढ़ा दिए। अपनी पुत्री सुजाता के लिए उपयुक्त वर मानकर , शिष्य कहोड के साथ उनका विवाह कर दिया।
कुछ समय के बाद सुजाता गर्भवती हुई ,वह गर्भ अग्नि के सामान तेजस्वी था। एक दिन ऋषि कहोड वेद पाठ कर रहे थे ,उसी समय सुजाता के गर्भ से शिशु बोल पड़ा पिताजी ! आप रातभर वेदपाठ करते हैं किन्तु यह सही तरीके से नही होता।
शिष्यों के बीच ही इस प्रकार के आरोप से पिता को बहुत क्रोध आया। क्रोध के वश में होने के कारण, बिना सोचे समझे ऋषि ने गर्भ के भीतर पल रहे अपने ही शिशु को श्रापित कर दिया।
ऋषि ने श्राप देते हुए कहा रे मूर्ख ! तू पेट के भीतर से ही टेढ़ी बातें करता है इसीलिए आठ जगह से टेढ़ा पैदा होगा।
जब अष्टावक्र पेट में बढ़ने लगे तो सुजाता को पीड़ा होने लगी ,उन्होंने एकांत में पति से धन की व्यवस्था करने को कहा।कहोड धन लाने के लिए राजा जनक के पास पहुंचे। राजा जनक के दरबार में शास्त्रार्थ में हार जाने के कारण, कुशलबन्दी के आदेश के अनुसार एवं शास्त्रार्थ के नियम के अनुसार ,उन्हें जल में डुबो दिया गया।
जब ऋषि उद्दालक को यह बात पता चली तो उन्होंने अपनी पुत्री सुजाता के पास जाकर यह बात बताई और कहा की, यह सत्य कभी अपने पुत्र अष्टावक्र को नही बतलाना।
ऋषि उद्दालक का एक पुत्र श्वेतकेतु भी था। यह माना जाता है की श्वेतकेतु को मानवी रूप में माँ सरस्वती ने साक्षात् दर्शन दिए थे। अष्टावक्र और श्वेतकेतु दोनों एक साथ बड़े होने लगे। एक दिन जब अष्टावक्र बारह वर्ष के थे ,वे ऋषि उद्दालक की गोदी में बैठे हुए थे उसीसमय श्वेतकेतु वहां आये ,और बालसुलभ क्रोध में पिता की गोदी से अष्टावक्र को खींचकर नीचे उतार दिया, और कहा की ये मेरे पिता की गोदी है तुम्हारे पिता की नही।
श्वेतकेतु के द्वारा कहे हुए शब्द अष्टावक्र के बालमन को कष्ट दे गए। उन्होंने अपनी माँ से पूछा मेरे पिता कहाँ गए हैं। अष्टावक्र के तप तेज से भयभीत होकर घबड़ाहट में सुजाता ने सारी बात अपने पुत्र को बता दी।
उसी रात दोनों बालकों में , राजा जनक के यज्ञ में जाने की बात पर सहमति हो गयी।
यञशाला के द्वार पर ही द्वारपाल द्वारा दोनों बालकों को रोक दिया गया।
(यह कथा गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित महाभारत से पढ़ने के बाद लिखी गयी है।
चित्र का रेखांकन प्रेरणा के बाद स्वतः किया गया है। )