गर्मी का मौसम तमतमाये हुए से सूर्य भगवान
रास्तों पर निकलो तो सुबह से ही कहीं धूप तो कहीं छाँव। जहाँ छाँव वहां मन को सुकून ,जहाँ धूप वहां गर्म मौसम की अनुभूति। रास्तों का साथ हो तो रेडियो सुनना तो बनता है। मधुर मधुर संगीत के बीच में मौसम सम्बन्धी समस्याएं ,स्वास्थ्य से जुडी हुई हिदायतें सुनाई पड़ जाती हैं। रेडियो स्टेशन चेंज करते ही कहीं हंसी – ठिठोली तो कहीं खान पान की बातें।
सच मानिये तो समय के परिवर्तन को , रेडियो ने बहुत करीब से महसूस किया है।
कभी रेडियो की बातें और गाने। हर घर की शान समझे जाते थे ,फिर टेलीविज़न का आगमन।
लेकिन ,देखते ही देखते एक बार फिर से रेडियो ने अपना महत्वपूर्ण स्थान , जनसमुदाय के बीच में फिर से बना लिया।
मौसम गर्म हो तो संचार माध्यम भी सतर्क रहते हैं।
खान – पान में मौसमी फल और सब्जियों के अधिक उपयोग की बात कहते हैं। अखबार भी फल और सब्जियों के साथ , तरह -तरह के शीतल पेय की बात को सामने रखते हैं।
इतना सबकुछ पढ़ने और सुनने के बाद हमने भी सोचा आम गृहणी से इतर कुछ सोचते हैं। लेखक और वक्ता की बात से जुड़ते हुए कलम की धार को ज़रा अलग अंदाज में खींचते हैं।
पारिवारिक जिम्मेदारियों में व्यस्त उच्च शिक्षा प्राप्त महिलायों का एक बड़ा वर्ग ,भारतीय समाज में अपनी प्रतिभा को बच्चों की परवरिश और घर की देखभाल के साथ एक नए अंदाज के साथ देखता है।
अपनी व्यस्ततम जीवन शैली के बीच में से ,आंग्ल भाषा का एक शिष्ट सा शब्द “होम मेकर” को अपना कर ,खुद को विशिष्ट श्रेणी में रखता है।
आजकल के किशोरों और युवाओं को खान-पान की स्वस्थ श्रेणी में खड़ा करना ,हर परिवार में चिंता का विषय है।
लिखने का शौक हमसे भी व्यस्त पलों के बीच से, कुछ पलों को समेट लेता है।
सब्जियों को पोषण के साथ जोड़ते हुए ,स्वस्थ जीवन के लिए उनकी उपयोगिता को समझते हुए अपने विचारों को रखा।
लौकी ,तोरी,खीरा ,ककड़ी होते हैं फाइबर फ़ूड के खजाने। स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए इनकी उपयोगिता से मत करो ! मुँह सिकोड़कर और माथे पर सलवटों के साथ इंकार।
बर्तनों की साफ़ सफाई में स्क्रॉच ब्राइट को मानते हो अनिवार्य ?
आँतों की साफ़ सफाई में, इन सब्जियों का होता है स्क्रॉच ब्राइट जैसा ही योगदान।
परवल का स्वाद अधिकतर बच्चों को लगता है बेकार , कोई इसे बेस्वाद मानता ,किसी ने तो अतिसंयोक्ति ही कर डाली।
परवल की तुलना कॉकरोच जैसे कीट से ही कर डाली।
उत्तर प्रदेश और उससे सटे हुए प्रदेशों ने परवल जैसी सब्जी को, सम्मानपूर्वक अपनाया है। मावा के साथ परवल की मिठाई को अनेक आयोजनों पर स्वीकारा है।परवल होता है कैल्शियम ,आयरन ,फाइबर और पोटैशियम का अच्छा स्रोत। पकाओ जरा ध्यान से अलग -अलग अंदाज से।
सर्दी के मौसम में गाजर के हलवे की कटोरी मन को भाती है ,तो गर्मी के मौसम में ठंडी तासीर वाली लौकी ! हलवे के प्लेट में समा जाती है।
सफ़ेद कद्दू का बना पेठा ! स्वास्थ्यवर्धक होता है।
फली वाली सभी सब्जियां चाहे हो सेम ,लोबिया या राजमा की फली ! प्रोटीन और कैल्शियम के उच्चतम स्रोत की बात कहते हुए सबसे पहले सामने दिखी।
गोभियों की बात करो तो पत्ता गोभी !आजकल ज्यादा ही इतराने लगी है।
चाइनीज़ व्यंजन के साथ बच्चों को ज्यादा पसंद आने लगी है।
मोमोस चाऊमीन, स्प्रिंगरोल के भीतर से झांकती दिखती है लेकिन ,भारतीय पद्धति से पकी हुई सब्जी को देखकर बच्चों और युवाओं की नाक भौं को सिकुड़वा देती है। पत्ता गोभी के दुष्प्रभाव को गिनवा देती है।
फूलगोभी और ब्रोकोली ने अपने ही अंदाज में अपनी बात कही।
ज़रा सा बादी होते हैं ,इसीलिए पकाते समय मसलों में हींग की प्रधानता को मानते हैं। लेकिन ! कैंसर ,मधुमेह और लिवर से सम्बंधित बीमारियों को दूर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वजन कम करने वालों के लिए अनमोल दवा। एंटीऑक्सीडेंट ,विटामिन सी व जरूरी मिनरल्स का खजाना , मेटाबोलिज्म रेट बढ़ाने की उत्तम दवा समान।
पालक ,चौलाई ,मेथी ,बथुआ के आलावा अनेक हरे साग !आयरन का बेहतर स्रोत होने की करते बात।
टमाटर और आलू !
सब्जियों की दुनिया में समझ में आते हैं सबसे चालू।
हर सब्जी के साथ अपना सामंजस्य बिठाते नजर आते हैं। ना नुकुर करते ,अड़ियल और जिद्दी बाल समुदाय को, अपने स्वाद से लुभाते हैं।
आलू होता है हाई कैलोरी और कार्बोहायड्रेट का अच्छा स्रोत। बड़ा लम्बा चौड़ा इसका दायरा है। फ़ास्ट फ़ूड से लेकर पारम्परिक खान पान तक इसकी पैठ है।
टमाटर की तो मत पूछो बात !
सब्जी ,चटनी और सूप के माध्यम से जीभ पर छोड़ जाते हैं अपना बेहतरीन स्वाद। आयुर्वेद में टमाटर को कृम नाशक भी कहा गया है।
रसोई की दुनिया में सब्जियां ! स्वस्थ जीवन और पोषण की बात को बुलंद आवाज में कहती हैं। पता नहीं क्यों ये आवाज नई पीढ़ी के कानों के पास नहीं पहुंच पाती।
स्वस्थ जीवन की राह पर चलते समय ,जंक फ़ूड और फ़ास्ट फ़ूड के स्वाद को कभी कभार के दायरे में रखते हुए , सब्जियों को रोज के खाने में मुख्य स्थान देना होगा एवं पाचन सम्बन्धी परेशानियों को अलविदा कहना होगा।