“यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै य कराय नम: शिवाय”
जिन्होंने यक्षस्वरूप धारण किया है। जो जटाधारी हैं। जिनके हाथ मे पिनाक है।
जो दिव्यसनातन पुरूष है। उन दिगम्बर देव ‘य’कारक स्वरूप शिव को नमस्कार है।
“बम बम भोले” के स्वरों से गूंजती हुई भारत भूमि, ‘ सावन मास ‘ मे शिव भक्ति मे डूब जाती है ।भगवान शिव का “जलाभिषेक “करने के लिए, शिवालयों के बाहर और भीतर ,लंबी लंबी कतार लगी दिख जाती है ।
“ओम् नम: शिवाय” का जाप, भगवान शिव की शक्ति का बोध कराता है ।भगवान शिव भोले भंडारी हैं ।सरल और सहज ढंग से की गई, गहरी भक्ति के भाव को, जनमानस की भीड़ के बीच मे पहचान लेते हैं ।
मंत्रोच्चार से गूंजती हुई, बाबा विश्वनाथ की भूमि हो या, केदारनाथ, बद्रीनाथ ,सोमनाथ,देवघर मे बैद्यनाथ धाम के अलावा अन्य ज्योर्तिलिंग,और भगवान शिव के तीर्थ हो ।
भगवान ‘महाकाल’ का पल पल मे बदलता हुआ, रूप और श्रृंगार हो । हर जगह देवत्व ,हर जगह शिवत्व महसूस होता है ।महादेव शिव एक ऐसे देव हैं,जो शिवपुराण के अनुसार सुंदर हैं । इसका उल्लेख सुंदर मूर्ति के रूप मे हुआ है ।
शिव भयंकर भी हैं,शिव अघोरी भी हैं ।
शिव जीवन की तरह ।
शिव सहज हैं ।
सरल और सहज जीवन ही शिव है ।
सहज भाव से पद्मासन मे बैठे हुये ,भगवान ‘शिव’की मूर्ति, उनके ‘महायोगी’ होने की बात कहती है ।
डमरू बजाकर तांडव करते हुए, ‘नटराज’ अपने क्रोध को बताते हुए दिख जाते हैं ।
नीलकंठ के रूप मे समाज की भलाई के लिए, विषपान करते हुए शिव जी, शांत मुद्रा मे नज़र आते हैं ।
शिव परिवार की तस्वीर और मूर्ति मे,भगवान शिव आम गृहस्थ के रूप मे दिखते हैं ।
त्रिदेव-ब्रम्हा,विष्णु और महेश मे से भगवान शिव ,सृष्टि के संहारक के रूप मे जाने जाते हैं ।
जो विनाशकर्ता तो हैं,लेकिन वो विघ्नों का विनाश करते हैं ।
महाशिवरात्रि के दिन,भगवान शिव की आराधना से ,अनेक पौराणिक कथायें जुड़ी हुई हैं ।
माना जाता है कि, सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ है ।
समुद मंथन के पश्चात, भगवान शिव के विषपान से भी, “महाशिवरात्रि” का संबंध मानते हैं ।
सावन मास मे की जाने वाली भगवान शिव की आराधना हो, या महाशिवरात्रि के दिन की जाने वाली स्तुति हो
भोले भंडारी, निश्चित रूप से व्यक्ति को सम विषम दोनो ही परिस्थितियों मे, निर्बाध रूप से आगे बढ़ने के लिए, ऊर्जावान करते हैं
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Om Namah Shivaye 🙏🏻❣️
प्रचंड हो तुम
तांडव हो तुम
गर्जना हो तुम
मौन हो तुम
सुख जिसे सुखी कर ना सके
दुख जिसे दुखी कर ना सके
वह दिव्य ज्ञान हो तुम
भोले हो तुम
इसलिए नाथों के नाथ भोलेनाथ हो तुम
अंधकार हो तुम
उसको चीरता हुआ प्रकाश हो तुम