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NatureShort Stories

एक कोपल से मुलाकात 

by 2974shikhat June 28, 2017
by 2974shikhat June 28, 2017

प्रकृति भी कभी कभी कितनी “सुकुमार” दिखती है। हर समय इसका “मिजाज”बदलता रहता है। बदलते हुये मिजाज के कारण ही “नव सृजन ” होता रहता है ।

सबसे आश्चर्यजनक वनस्पतियों का “सृजन”
होता है।

उन्हें नही चाहिये होती है मानव जैसी ज्यादा “देखभाल”।
अपने आप ही रखते हैं पेड़ पौधे अपना अपना “ख्याल”।

कभी सोचा है कि प्रकृति के “सृजन “का तरीका कितना
“आश्चर्यजनक” होता है ।

एक “परिपक्व पत्ते” के नीचे और एक फल के भीतर हमेशा
“नवजीवन” शांति के साथ सोता रहता है।

कल देखा “अरवी के पत्ते” को अपनी रसोई के अंदर।
था इरादा उन पत्तियों के साथ बनाने का कुछ
स्वादिष्ट सा व्यंजन।

पत्ते से डंठल को मै अलग किये जा रही थी।
इसी बहाने उपयोगी भाग को उपयोग मे लिये जा रही थी।

अचानक से देखा पत्ते से अलग किये हुए डंठल के अंदर से
कुछ “झाँक “रहा था ।

मानो पत्ते से अलग किये जाने के बाद की अपनी स्थिति को
सावधानी पूर्वक “आँक “रहा था।

मैने धीरे से डंठल के मुख को खोला।
अपनी उँगलियों से डंठल के भीतरी भाग को टटोला।

कोमल सा स्पर्श मेरी उँगलियों को महसूस हुआ।
ध्यान से देखा एक नन्हा मासूम सा पत्ता था जो अपने आप
को लपेटे हुए उस डंठल के भीतर सो रहा था।

बाहर आते ही खुश हो गया जल्दी से अपने हाथों को फैलाया ।
मेरी हथेलियों के बीच मे समाया।

बोला मुझे व्यर्थ मे ही”अनुपयोगी” समझ कर आप फेंक रही थी।
बाकी पत्तियों का उपयोग किये जा रही थी।
मेरे साथ क्यूँ “पक्षपात” किये जा रही थी।

चलिये मेरा जीवन भी “सार्थक” करती जाइये।
अपने व्यंजन का “अभिन्न अंग” मुझे भी बनाइये।

मै उसके उत्साह को देखकर दंग रह गयी।
अपने आप को उपयोगी जतलाने की “दृढ इच्छा”
की कायल हो गयी ।
ज़रा सा नन्हे पत्ते की बातों से “घायल” भी हो गयी ।

सोचने लगी मै प्रकृति भी कितना कुछ सिखाती है ।
ऐसे ही नही जीवन के “अनमोल पाठ” सिखाती है ।

आँखों को बंद कर के सोने से कुछ नही होता।
आता हुआ उपयोगी पल भी सोने से खोता।

जीवन को “सार्थक” काम मे लगाने से
मन मे उत्साह और “आत्मविश्वास “का समावेश होता।

मै नही कहती ये बात ज़रा प्रकृति को ध्यान से सुनिये ।
प्रकृति का हर एक कण यही बात कहता है।

ExpressionHappiness in NatureThoughts
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2974shikhat

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Rekha Sahay June 29, 2017 - 9:44 am

“नव सृजन ” का सौंदर्य और एक कोपल से मुलाकात अद्भुत और सुंदर कविता है.

Mrs. Vachaal June 29, 2017 - 9:52 am

नन्हे से कोपल से मेरी वास्तविकता मे रसोई मे मुलाकात हुई और उसी ने “नव सृजन” करा दिया दिया । एक बार फिर से उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद 😊

Ko pal kokas September 4, 2017 - 6:27 pm

बहुत सुंदर कविता , मेरा नाम भी कोपल है मैं भी ब्लॉग लिखती हूँ nanhikopal.blogspot.com

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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