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Daily LifeShort Stories

इमारत और इंसान  (We make what we think)

by 2974shikhat May 30, 2017
by 2974shikhat May 30, 2017

​Our lives are just like the building that are all around us .
सृष्टि मे निर्माण (construction)बहुत जरुरी होता है क्योंकी जीवन हमेशा चलता रहता है । सजीव चीजों मे नव सृजन से निर्माण होता है , लेकिन निर्जीव वस्तुओं का निर्माण व्यक्ति की मेहनत और उपयोग मे आने वाले सामान के ऊपर निर्भर करती है।जीवन की जरूरतें और व्यवस्थित रहने की चाह ही निर्माण कराती है ।

बनती हुयी इमारतें भी कितनी अव्यवस्थित
सी दिखती है।
ज़रा सा हैरान ज़रा सा परेशान ज़रा सा बिखरी बिखरी
सी दिखती है।
धरा भी नव सृजन के समय ज़रा सा बेतरतीब
सी दिखती है।  

तभी नन्हा पौधा धरती का सीना चीरकर मुस्कराता

सा दिखता है।

निर्माण हो जाने के बाद ही खूबसूरती नजर आती है।
 नही तो बनती हुयी चीजें ज़रा सी बदसूरत नज़र आती है।

 कुछ दिन पहले की ही तो बात थी।
 मै एक बनती हुयी इमारत के पास थी।

 चारो तरफ था धूल और मिट्टी का असर
  सूरज की तपन ने भी निकाली थी पूरी कसर।

   किसी भी तरह के निर्माण को देखकर
   दिमाग रहता नही है विचारों से बेअसर।

    माँ की कोख मे पलता हुआ बच्चा माँ को ही
    अव्यवस्थित कर देता है।

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Image Source : Google Free

                  

लेकिन सृजन के बाद ही तो सृष्टि का
अनमोल तोहफा दिखता है ।
       

जीवन और बनती हुयी इमारत को देखते ही
शुरू हो जाता है दिमाग मे द्वन्द
होता नही है इन दोनो मे कोई विशेष अंतर ।

करना शुरू कर दिया मेरे दिमाग ने
दोनो का तुलनात्मकअध्ययन ।

रेत सीमेंट और मिट्टी के गारे से
इमारत का निर्माण किया जाता  है।

कितनी विशाल इमारतों और छोटे घरों का ये
आधार हुआ करता है।

निर्माण सामग्री की मात्रा हमेशा महत्वपूर्ण होती है।
मात्रा सही न होने से आधार सही नही बनता।

देखते ही देखते बड़ा सा बड़ा आलय भी ढहता।          

देख रही थी मै निर्माण सामग्री को आपस मे मिलाते हुये
 बिना पानी के एक दूसरे से छिटक कर बिखरते हुये।

 जीवन भी कुछ ऐसा ही होता है।
  विचारों संस्कारों और चरित्र के बिना
  कहाँ सही इंसान बनता है।
  विश्वास रूपी जल से ही तो इंसान बँधता है।

 इनकी उपयुक्त मात्रा हर किसी के लिये जरूरी होती है।
 विश्वास के साथ मिलाने मे कहाँ कोई मजबूरी होती है।

जीवन के तेज झंझावातों मे मिलायी गयी सही मात्रा
का पता चलता है।

बड़ी से बड़ी इमारतें सिर उठा कर खड़ी रहती हैं
रिसते हुये पानी और तेज हवा के झोंकों को
मजबूती से सहती हैं।

कारण सीधे खड़े होने का 

आधार हुआ करता है।

मिश्रण निर्माण सामग्री का हमेशा
महत्वपूर्ण हुआ करता है।

मानव जीवन और एक इमारत मे बहुत
सारी समानता होती है।

 तुलनात्मक अध्ययन का 
 परिणाम यही निकलता है।

ConstructionDutyExpressionHuman behavior​Our lives are just like the building that are all around usThoughts
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0 comment

Rekha Sahay June 1, 2017 - 9:28 am

कितनी सटीक बाते लिखी है आपने —

अगर नही है मात्रा सही तो व्यक्ति अपने आप ही उघड़ता हुआ दिखता है।

Mrs. Vachaal June 1, 2017 - 9:55 am

मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये धन्यवाद 😊

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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