( चित्र इन्टरनेट से)
संचार माध्यमों ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की
शुभकामनाओं के जरिए महिलाओं को
विशेष होने का आभास करा दिया…..
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे ने लिंगभेद की
मानसिकता को बदलने के लिए समाज को
ज़रा सा हिला दिया…..
महिलाओं के बारे में व्यापक रूप से सोचते हुए…..
भारत सरकार ने बेटियों के आर्थिक सशक्तिकरण की बात….
किलकारी की आवाज, मातृत्व अवकाश,उज्ज्वला योजना जैसी
महिलाओं के हित की अनेक योजनाओं को…..
लोगों के बीच में पहुंचा दिया…..
आश्चर्य जनक सी लगती है बात
मां दुर्गा की आराधना करने वाले देश में
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समाज
आज संघर्ष कर रहा……
गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहे
परिवारों में ही केवल महिला सशक्तिकरण की जरूरत नहीं……
समाज के हर तबके से सशक्त महिला
आज की जरूरत है…..
महिलाओं के अंदर यह बात जगाना कि औरत का
असली सशक्तिकरण उसके बुद्धि कौशल से ही हो सकता है
बाहरी सौंदर्य से नहीं…..
पुरुषवादी समाज में महिलायें केवल कृत्रिम सौंदर्य के द्वारा ही
क्यूं परखी जाती हैं……
दिमाग में हमेशा सवाल आता है कि…..
महिला सशक्तिकरण की बात उठाने से पहले
पुरुषों की सोच को बदलना क्या समस्या का सबसे बड़ा हल नही ??
सुन्दर दिखना कभी बुरा नहीं होता…..
लेकिन सुंदर दिखने की चाह में
आंखें बंद कर के भागना सही नही……
महिलाओं को इस बात को स्वीकारना होगा कि
प्रकृति की घड़ी किसी के लिए नहीं रुकती…….
रूप सौंदर्य की बात ज्यादा समय तक नही टिकती……
बाहरी सौंदर्य के बलबूते पर महिला सशक्त नहीं होती…..
लड़कियों के जीवन का मूलमंत्र सिर्फ
सुंदर दिखने की चाह को छोड़कर……
बुद्धि कौशल जब तक नही बनेगा…..
तब तक समाज सशक्त महिलाओं के साथ आगे नहीं बढ़ेगा……
सभी महिलाओं को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं 😊
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बहुत सुंदर सोच।
धन्यवाद 😊