बस दो दिन पहले की ही तो बात थी…. गाँधी जयंती हमारे साथ थी…सोशल साइट्स के माध्यम से
याद आ रही थी….
बचपन से याद की हुई बापू की सारी बातों को तरोताजा
किये जा रही थी…
बुरा मत बोलो,बुरा मत सुनो,बुरा मत देखो को चित्र के साथ याद दिला रही थी….
अक्टूबर महीने के केलेंडर मे गाँधी जयंती लाल रंग को
ओढ़े हुए नज़र आ रही थी….
सभी के चेहरे खुशी से खिल गये…..क्योंकि गाँधी जयन्ती सोमवार को होने के
कारण छुट्टी के लंबे दिन मिल गये…
सभी ने अपने अपने चेहरों को, मुस्कान के साथ सजाया…
उत्साह हृदय से निकलकर,सारे वातावरण मे नज़र आया….
कुछ लोगों ने घर मे ही, आराम फ़रमाया
वहीँ कुछ ने अपना सामान बाँधकर, तफरीह के इरादे को
सफलता पूर्वक निभाया…
दशहरे का उत्साह और जन्मदिन के अवकाश ने
आपस मे मिलकर, खुशी को बेइंतहा बढ़ाया…
लोगों की मस्ती चारो तरफ दिख रही थी….
कहीं भीड़ शहर से बाहर की तरफ तो कहीं माॅल
या सिनेमा हाल की तरफ खिसक रही थी….
मै भी उसी भीड़ का हिस्सा थी… घर से निकलकर, बाजार मे जरूरी सामान खरीदने के फेर मे
रुपये मे बैठे हुये गाँधी जी को भी बाजार की सैर करा रही थी…
अचानक से दिमाग मे आया ये ख्याल ,किसी को नही पता होता कि कल क्या
होगा उसका हाल….
एक साल पुरानी ही तो बात है…. गांधी जी पुरानी नोटों के साथ घूम रहे थे…..
देश की समृद्धि और खुशी को अलग रंग की
नोटों मे मुस्कान के साथ देख रहे थे….
समय कितना बलवान होता है….
एक महीने बाद ही लाकर,भूसे के ढेरों, जमीन के नीचे
जाने कहाँ कहाँ, छुपा कर रखी हुयी जगहों से,बाहर निकल रहे थे….
अपनी स्थिति पर,पुरानी नोटें बिसूर रहीं थी… नोट बंदी के कारण , वापस बैंक मे जाने के रास्तों को ढूंढ रहीं थी….
कहीं तेल मे सनी,कही मुड़ी तुड़ी,तो कहीं साफ – सुथरी भी नज़र आ रही थी….
गहरी साँसें लेकर मैने, नयी नोट के ऊपर, आराम से बैठकर
मुस्कुरा रहे गाँधी जी की तरफ, सम्मान के साथ देखा….
बड़े प्यार से नयी नोटों को अपने पर्स के भीतर समेटा…
मन ही मन मे बुदबुदायी….
अब आप कई जयन्तियों तक इन्हीं नोटों पर
आराम फरमाइयेगा….
नये नये रंगों की नोटों के चक्कर मे
एक बार फिर से,देशभक्त नागरिकों की तरफ से, मुँह मत मोड़ियेगा…
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Long weekend to last year…very well expressed!
Thanks 😊