“शहर ए दिल्ली” का मिज़ाज भी बदलता रहता है
नये साल के साथ, सर्द मौसम मे देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत,दिल्ली शहर दिखता है
कई दिन पहले से ही ,अगर आप इंडिया गेट की तरफ जाइये तो,राजपथ के आसपास गणतंत्र दिवस की परेड के पहले होने वाली, सुगबुगाहट महसूस होती है….
हमारा शहर, गणतंत्र दिवस के उत्सव के समय खुद को, गौरवान्वित महसूस करता है….
राष्ट्रीय पर्व को मनाने के लिए,पूरा दमखम सरकारी विभागों का दिखता है….
गणतंत्र दिवस की परेड और झांकियों को देखने के लिए लोंग, भोर से ही राजपथ पर एकत्रित होना शुरू हो जाते हैं……
अमर जवान ज्योति पर, शहीदों को पुषपांजलि अर्पित करने के बाद,उत्सव अपने जोश के साथ दिखता है…..
तमाम देशी विदेशी अतिथियों के अलावा, बहादुर बच्चों के साथ, राजपथ गुलजार हो जाता है…
अगर आप ने किसी भी कारणवश ! गणतंत्र दिवस की परेड के साथ झाँकियों को नही देखा,तो कोई बात नही…
चलिए! लाल किले के प्रांगण मे आयोजित “भारत पर्व”उत्सव मे…..
लाल किले की सैर हमने कई बार की!
वहाँ की ऊंची ऊंची दीवारों से की गई बातों को,अपनी कविताओं और कहानियों मे ढाला…..
मुगलिया संस्कृति और वास्तुकला की कलात्मकता को भी, अपने शब्दों का साथ दिया…..
इस बार की हमारी लाल किला की सैर,उसके बाहरी प्रांगण तक ही सिमट गई ……
ऊंची-ऊंची दीवारें और किले की प्राचीर!शांत खड़ी होकर अपना मनोरंजन भारत पर्व महोत्सव के द्वारा कर रही थी….
ऐसा लग रहा था सत्रहवीं शताब्दी का बना हुआ लाल किला भी, भारत पर्व को देखकर गर्व महसूस कर रहा हो…
किसी समय देश की राजधानी का शक्ति केंद्र, आज अपने आस-पास पूरे भारत को समेट कर खुश हो रहा हो…..
पर्यटन मंत्रालय,अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के साथ राज्य सरकारों के सम्मिलित सहयोग से आयोजित भारत पर्व का यह चौथा संस्करण था
जो 26जनवरी से लेकर 31दिसंबर तक, लाल किला के बाहरी परिसर मे आयोजित दिख रहा था…..
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य! अपने देश के प्रति गौरव और राष्ट्र प्रेम की भावना विकसित करना रहा है…..
सुरक्षा जांच के बाद अंदर प्रवेश करते ही, गुजरात मे स्थापित “सरदार पटेल” की प्रतिमा “स्टेच्यु ऑफ युनिटी” की प्रतिमूर्ति आपको दिखेगी….
एक कतार से आपको, अलग-अलग प्रदेश और मंत्रालयों के साथ-साथ,सामाजिक जागरूकता से संबंधित झांकियाँ महात्मा गाँधी के मार्गदर्शन मे दिखाई देंगी…..
महात्मा गाँधी की 150वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य मे,इसबार का मुख्य थीम महात्मा गाँधी को बनाया गया था…..
कहीं स्वच्छ भारत के साथ, गाँधी जी दिख रहे थे तो कहीं ,भारत छोड़ो आंदोलन के साथ तो कहीं योग और ध्यान की बात के साथ…..
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Last year I was there.
हमारा जाना पहली बार हुआ था…भारत सरकार का अच्छा प्रयास है… अपनी कला और सांस्कृतिक विरासत को सामने लाने का 😊
जी बिलकुल, पिछली बार मेरा भी पहला अवसर था. 🙂
आपके लेख के माध्यम से घर बैठे भारत पर्व देख लिया। और अगले वर्ष वहां जाने की लालसा भी जाग गई है।