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भागता हुआ वक्त 

by 2974shikhat December 17, 2017
by 2974shikhat December 17, 2017

​.

Time is money

                    अपनी ही धुन मे चलते चलते राह मे
हो गयी अचानक से वक्त से मुलाकात…..

                      सरपट भागते हुए चला जा रहा था….
अपने ढेर सारे नाम बोल रहा था….

                      कभी समय,कभी अवधि, कभी काल
कभी पल दो पल की बात

                           तो कभी वक्त बोल रहा था…..

                      बोला मै तो अपने स्वभाव के मुताबिक
ही काम किये जा रहा हूँ……

                               न दायें देखता हूँ न बायें….
न ऊपर देखता हूँ न नीचे…
बस अपनी रफ्तार से बढ़ा जा रहा हूँ…..

                        बोला, जमाना मेरी बड़ी हँसी उड़ाता है….

                     मुझ पर ही, तमाम तरह के आरोप लगाता है…..

                              कभी मुझे चंचल बताता है…..
तो कभी “आदमी की फितरत सा” बताता है….

                       अपने कर्मों के हिसाब से ही इंसान मुझे
उलटता पुलटता रहता है……

                      बिगड़े हुये हालात हो या सुधरे हुए हालात हो….
सारी बातें बस मुझपर छोड़कर अपने
हाथों को झाड़ता जाता है…..
“वक्त वक्त की बात है” बोलता जाता है….

                         मै तो इस मतलबी दुनिया से तंग हो चला…..
दीवार पर लटकी हुई घड़ी हो या अलार्म घड़ी….

                                से बाहर निकलकर….

                              मोबाइल के संग हो चला….

                    अब आप जल्दी बताइये आपको क्या कहना है….
जली कटी बातों को अब मुझे न सहना है….

                   वैसे आप बताइए आप कैसे मुस्कुराते हुए खड़ी हैं…..
कहीं समय को रोकने के प्रयास से तो नही जुड़ी हैं….

                            देवता,दानव, ऋषि,मुनि आज तक
कोई मुझे न रोक पाया है…..

                        राजा हो या रंक हो हर किसी ने मेरे सामने
अपने मस्तक को सम्मान के साथ झुकाया है…..

                        अब मेरी बातों को दिल से मत लगाइयेगा….
ज़रा सा हमारे द्वारा दिए हुए ज्ञान को अमल में लाइये ….

                      ठहरना वक्त की फितरत मे नही….

                           जन्म हो या मृत्यु हो….
छलकते हुए आँसू हो या चेहरे पर थिरकती हो मुस्कान….
ये वक्त किसी का मोहताज़ नही होता…..
सोते हुए समाज और सोते हुए व्यक्ति का तो किसी भी
हाल मे नही होता….

                            सुनकर उसकी बातों को मै मुस्कुरा गयी…..
वक्त ने मुझे देखकर भृकुटी को चढ़ाया….
चार बातें मुझे और सुनाया….

                         बोला आप से इतनी बातें इसलिये कर रहा हूँ….
क्योंकि आप वक्त के साथ चलने की कोशिश कर रही हैं…
ज़रा सा ठहर कर तो देखिये…..
रेत की तरह फिसल जाऊंगा…..
आपके सामने से ही निकल जाऊंगा….

                 मुझे वक्त के बातूनी स्वभाव पर ज़रा सा गुस्सा आ गया……
मैने अपनी कागज और कलम, उसको दिखाया……
प्यार से उसे समझाया….

                                  बातूनी स्वभाव को ज़रा सा परे करो….
अब अपने रास्ते पर बढ़ो…..

                      मुझे वक्त,काल, समय या अवधि पर लिखने के लिए
विषयवस्तु चाहिए थी…

                           अब ज़रा नज़रों को इधर फेरो…..
ये देखो मेरी कलम एक बार फिर से
वक्त के साथ चल गयी……

Time is money

Image Source : Google Free

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2974shikhat

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0 comment

Manisha Kumari December 20, 2017 - 8:25 am

बढ़िया विश्लेषण।

Mrs. Vachaal December 20, 2017 - 8:29 am

धन्यवाद 😊

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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