प्रकृति का उपहार होती हैं वनस्पतियाँ
पेड़ पौधों का श्रृंगार होती हैं पत्तियाँ
घने पेड़ की छाँव होती हैं पत्तियाँ ।
नन्हे पौधे से लेकर ,बड़े बड़े वृक्षों के
जीवन का आधार होती हैं पत्तियाँ ।
पत्तियों के बारे मे सोचो तो
सबसे पहले ध्यान मे आता है उनका रंग ।
दिखते हैं हरे रंग के ही अलग-अलग प्रकार ।
कहीं दिखती रंग बिरंगी बहार ।
कहीं तो आकार और आकृति
आश्चर्य मे डाल गई ।
कहीं नन्ही सी पत्ती मुस्कुराती हुई
नज़र आ गई ।
कितनी अद्भुत कृति, प्रकृति की होती है ।
बिना किसी आडंबर या तामझाम के
भोजन भी पका लेती हैं पत्तियाँ ।
विषम परिस्थितियों मे कहीं तो
धागेनुमा आकार मे बदलती दिखी ।
कहीं काँटों के रूप मे दिखी ।
कहीं जड़ का ही रूप धर लिया ।
जल संरक्षण की बात
सरलता के साथ समझा देती हैं पत्तियाँ ।
धरा से जल लिया
अल्पमात्रा मे उपयोग किया ।
वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से
वापस पर्यावरण मे पहुंचा देती हैं पत्तियाँ ।
धागों मे गुथ कर,तोरण का रूप धर
द्वारों को सजा देती हैं पत्तियाँ ।
सिर्फ सजावट का ही नही करती काम ।
तोरण के माध्यम से
सकारात्मक ऊर्जा को ,घरों के भीतर
प्रवेश करा देती हैं पत्तियाँ ।
बात सर्द मौसम की हो या बारिश की ।
मिट्टी की सोंधी सी महक के साथ ।
रसोई और गुमटियों मे
चाय की पत्ती के रूप मे नज़र
आ ही जाती हैं पत्तियाँ ।
मेंथा हो,सिट्रोनेला हो,यूकेलिप्टस हो , लेमन ग्रास हो
या अन्य औषधीय महत्व की पत्तियाँ ।
किसी न किसी प्रकार से रोज की जरूरतों से
जुड़ी हुई नज़र आ ही आती हैं पत्तियाँ ।
पूजा पाठ का स्थान हो ।
पारंपरिक उत्सव या त्यौहार हो ।
केले के पत्तों ,आम के पत्तों के साथ मंडप मे नज़र
आ ही जाती हैं पत्तियाँ ।
शुद्धता जहाँ अनिवार्य हो
पर्यावरण का भी ध्यान हो
दोना- पत्तल का रूप धर
बर्तनों के रूप मे
उपयोगी दिख ही जाती हैं पत्तियाँ ।
तुलसी दल की करिये अगर बात
आस्था,आध्यात्मिकता और आराधना के साथ जुड़ी नज़र
आ ही जाती हैं पत्तियाँ ।
सब्जियों की दुनिया हो ।
मसालों की दुनिया हो ।
सौंदर्य प्रसाधनों की दुनिया हो ।
चिकित्सा जगत की दुनिया हो ।
प्रभावी ढ़ंग से अपना आधिपत्य! दिखाती हैं पत्तियाँ ।
रास्तों पर चलते हुए हमेशा ही पत्तियाँ
अपनी तरफ ध्यान खींचती हैं ।
कहीं बारिश के पानी से धुली हुई ।
कहीं ओस की बूँदों से ढकी हुई ।
कहीं खिलखिलाती हुई ।
कहीं मुस्कुराती हुई ।
पर्यावरण संरक्षण की बात
मंद स्वर मे ही, बतला जाती हैं वनस्पतियाँ ।
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खूबसूरत रचना, इंसान ही वनस्पतियों को नष्ट कर रहा है, अफसोस
Very true