जीवन की लहरों पर उतराती हुई
साँसें होती है…..
आँखों मे सपनों को आत्मविश्वास
के साथ सजाती हैं…
क्या होता है जीवन सिर्फ मौजमस्ती
या मटरगश्ती के लिए?
जीवन की कश्ती हवा के बहाव के साथ
विश्वास और धैर्य के साथ बहती है….
जीवन में मुश्किलें आती जाती रहती हैं….
अबोध बच्चे की आँखों की चमक
आत्मा को भेदती है….
बच्चों की जीवन के प्रति उमंग और खिलखिलाहट
कुछ सोचने पर मजबूर करती है…
जीवन मे होने वाली छोटी छोटी घटनाएं
मन को छू जाती हैं….
जीवन को जीने का एक अलग सा नजरिया
दिखा जाती है…
बाजार मे घूमते हुए….
घर के लिए कुछ उपयोगी सामान लेते हुए….
हुआ एक अद्भुत सा एहसास…
थी मै अपनी ही धुन मे…..
दिमाग सोच रहा था,रह गया है
अब और क्या क्या काम ?
सँभाला हुआ था सामानों का थैला ….
दूसरा हाथ था तुलनात्मक रूप से बोझरहित ….
हाथ को अचानक से हुआ मुलायमियत
का एहसास ….
चलते-चलते रास्ते पर अचानक से
एक नन्ही सी बच्ची ने पकड़ लिया था
जोर से मेरा हाथ ….
मेरी गर्दन अचानक से उस दिशा में मुड़ गई…..
आँखें उस मासूम से चेहरे पर जाकर ठहर गई….
उसकी आँखों मे था विश्वास के साथ
कुछ सवाल …..
आप तो नही है हमारी माँ !
फिर कैसे पकड़ लिया मैने आपका हाथ?
उसके चेहरे पर हैरानी मिश्रित मुस्कान थी…..
आँखें उसकी बाल सुलभ चंचलता की पहचान थी …..
अचानक से ज़रा सी हलचल मच गई …
बच्ची की माँ दौड़ते भागते , बच्ची के पास पहुँच गई….
बच्ची ने बालसुलभ चंचलता दिखाई ….
माँ के पास जाना कुछ पल के लिए झुठलाई….
माँ ने बच्ची को जोर से अपनी तरफ खींचा….
ज़रा सा अपनी लापरवाही पर झेंपते हुए
मेरी तरफ देखा …
मै ज़रा सा मुस्कुरा दी
नन्ही बच्ची जोर से खिलखिला दी…
उसकी नाजुक उँगलियाँ
धीरे से मेरे हाथों से सरक गई….
वो अपने रास्ते और मै अपने
रास्ते बढ़ चली …..
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वाह !! यह बचपन और बचपना कितना खूबसूरत होता है.
बचपन और बचपना बड़ा सुहाना होता है क्योंकि हमेशा छल कपट से अनजाना होता है ।हर व्यक्ति को विश्वास के साथ देखता है क्योंकि शायद सही मे बचपन और बचपने के भीतर ही ईश्वर का ठिकाना होता है😊