March 7,2017
कल सुबह से ही दिन थोड़ा आलस वाला था ।
ये बदलता मौसम ही आलस दे जाता है , कई सारे काम सुबह से इंतजार कर रहे थे ,और मन सब कुछ लटका रहा था I
मै कई बार उठी काम करने के लिये, और वापस आलस्य मे पड़ गयी ।
इसके बाद तो अति ही हो गयी “मन और दिमाग मे हो गयी भयंकर लड़ाई “इसी चक्कर मे “कागज और कलम ने एक बार फिर से मेरी तरफ दौड़ लगाई ”
ऐ मन ! इधर आओ अब जरा ध्यान लगाओ…..
प्यार से मेरी बातों को सुनो फिर गुनो…..
हट करके काम कर लो…
झटपट करके ही काम कर लो….
आत्ममुग्ध मत रहो….
अपने पर विश्वास करो…
चिंतन को साथ रखो…..
चिंतक के पास रहो…..
चित्त को शांत रखो….
लेकिन निंदक के पास रहो…
वो रहे ईर्ष्या करने वाले लोग….
मन को मत मलिन करो….
अपनी राह पर चलो…
मन में विश्वास हो….
आस्था और भक्ति का साथ हो….
पगडंडियों पर चलना है….
कीचड़ का भी साथ मिलेगा…
उसकी चिंता छोड़ दो
कर्म का साथ है…..
कर्मठता पर विश्वास है….
रास्ते कठिन जरूर है….
सफर पर निकल पड़े हैं….
हम चले तो तुम भी चलो….
फालतू की बातें छोड़ दो…
एकाग्रता की सुध करो….
चलो हमारे संग चलो…
अब बीच मे मत तंग करो….
ऐ मन !अपने मे उमंग भरो……
मन मे उमंग है तो, दुनिया तुम्हारे संग है…..
राह पर चलो
मन में विश्वास हो….
आस्था और भक्ति का साथ हो….
पगडंडियों पर चलना है….
कीचड़ का भी साथ मिलेगा…
उसकी चिंता छोड़ दो
कर्म का साथ है…..
कर्मठता पर विश्वास है….
रास्ते कठिन जरूर है….
सफर पर निकल पड़े हैं….
हम चले तो तुम भी चलो….
फालतू की बातें छोड़ दो…
एकाग्रता की सुध करो….
चलो हमारे संग चलो…
अब बीच मे मत तंग करो….
ऐ मन !अपने मे उमंग भरो……
मन मे उमंग है तो, दुनिया तुम्हारे संग है…..
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वाह !! क्या खूब लिखा है आपने. 😊😊
धन्यवाद 😊
Very difficult to tame the mind. Beautiful composition 👏💙
Thanx for your appreciation, Radhika😊