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सोंधी सी रोटी की कहानी, हमारी ज़ुबानी

by 2974shikhat April 5, 2018
by 2974shikhat April 5, 2018

Food and happiness

भारतीय खाना विश्व में सबसे ज्यादा विविधताओं

और तरह-तरह के मसालों के साथ पकाया जाता है……

भारत के हर प्रान्त के खाने का स्वाद और मसाले

अलग अलग होते हैं…….

रोजमर्रा के खाने के अलावा अनेक तरह की चीजें

रसोई में पकाई जाती है…….

व्यंजन चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी इनको पकाने के बाद

आती है रोटियों की बात……

Food and happiness

भोजन और रसोई के साथ होता है,भारतीय परिवारों का

भावुकता के साथ लगाव……

बचपन के खेलों में भी रसोई शामिल होती है……

खेल ही खेल में खिलौने वाले बर्तनों में भी काल्पनिक

खाना पक जाता है……

Food and happiness

बालमन भी रसोई के साथ जुड़ता जाता है……..

रोटी बनाना भी एक कला होती है…….

सलीके से गुथे हुए आटे, और सधे हुए हाथों

के ऊपर इसकी आकृति निर्भर करती है……

आटे की लोई चकले और बेलन की….

Food and happiness

सहायता से तो कहीं, केवल हाथों से ही आकार लेती है….

कहीं छोटी तो कहीं बड़ी, कहीं मोटी तो कहीं पतली…..

कहीं किसी देश का नक्शा बना,तो कहीं कोई और आकार दिखा…..

तरह तरह के आकार और आकृति के साथ, तवे पर डोलती है……

आंच पर सिक कर,सोंधी सी महक के साथ, अपने इतिहास के

बारे में बोलती है……

भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण स्थान ले चुकी रोटी का…..

Pyramid

सबसे प्राचीन और प्रबल प्रमाण मिस्त्र देश में मिलता है…..

जहां एक बहुत पुरानी कब्र में टोकरी मिली और

उसमें विभिन्न आकार की रोटियां मिली……

मिस्त्र के प्राचीन इतिहास से यह पता चलता है कि

वहां पर किसी समय रोटियों का वही स्थान था……

जो आजकल सिक्कों और रुपयों का है…..

उस समय वेतन के रूप में हर स्तर पर लोगों को

रोटियां ही दी जाती थी…..

यूरोप के देशों में भी प्रारंभिक काल से ही किसी न किसी

रूप में रोटियां खाने का प्रचलन दिखता है…..

यूरोप में रोटी बनाने का अधिकार मिलना, शक्ति को प्रर्दशित करता था…..

और उन्हीं से सभी को रोटियां खरीदना पड़ता था…..

भारत में गेहूं को संग्रहित करने वाले बर्तन, और गेहूं के होने के प्रमाण…..

मोहन जोदड़ो की खुदाई के समय मिलते हैं……

लेकिन रोटी खाने के प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता……

सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में गेहूं का नाम नही मिलता…..

यहां का प्रमुख आहार चावल था…..

यज्ञ में भी जौ और चावल को ही स्थान मिला है…..

पौराणिक कहानियों में भी चावल का ही उल्लेख मिलता है…..

सामान्य तौर पर रोटी को जीवन के संघर्ष के साथ भी जोड़ते हैं…..

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और रोटी का भी रहा है संघर्षपूर्ण साथ…..

इतिहास के कई मिथक भी रोटी की बात बतलाते हैं……

जंगल में बेटे के हाथ से घांस की रोटी को छीन कर ले जाते……

Roti

जंगली बिल्ले को देखकर, महाराणा प्रताप भावुक हो जाते हैं……

कवि पीथल ने महाराणा प्रताप को, अकबर के सामने आत्मसमर्पण

न करने की बात याद दिलाते हुए,यह कविता लिखी जो उनकी रचना

“पीथलऔर पाथल” में नज़र आती है……

“अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो

नान्हों सो अमरयो चीख पड़ो,राणा रो सोयो दु:ख जाग्यो

हूं लड़यो घणो हूं सहयो घणों,मेवाड़ी मान बचावन नै”

अनेक ऐतिहासिक बातें और मिथक हमें रोटी के साथ भूख के माध्यम से जोड़ते हैं……

समाज में होने वाले अपराध और हिंसा, काफी हद तक भूख पर निर्भर करते हैं…..

अब ऐसे ही नहीं चकले पर गोल गोल घूमती हुई रोटी……

अपने महत्त्व की बात को गर्व से बोलते हुए दिखती है……

Food and happiness

(सभी चित्र इन्टरनेट से)

Feeling of positivityFood and happinessIndian society and culturelife teachingsRotiStruggle
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2974shikhat

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