“सावन”का महीना आते ही सारे वातावरण मे “उमंग” और “उत्साह” दिखता है ।पसीने के साथ उमस वाली गर्मी तो होती है लेकिन अचानक से बारिश की बूँदें दौड़ती भागती आ जाती हैंl
आकाश मे काले बादलों का आना और जाना लगा रहता है।
कुल मिलाकर खूबसूरत सा एहसास होता है।
“सावन”के साथ आये हुए बादलों को देखकर मैने “सावन” से बातें करना शुरू कर दिया ….
ए सावन !तुम फिर से आ गये
“झूमते झामते” काली घटाओं को लेकर
“उमड़ते घुमड़ते”हुए बादलों के साथ ।
अभी बीते साल ही तो आये थे
जगा गये थे सोये हुए दिमाग को ।
भर गये थे अपने स्वभाव के मुताबिक
“उर्वरता”को।
अब आ ही गये हो तो ,चलो अब ये तो बताओ
पूछा क्या तुमने इन “काली घटाओं” से ?
आयी हैं बरसने के “उद्देश्य” से
या यूँ ही “निरउद्देश्य” हवा के बहाव के साथ
उड़ना ही इनका काम रह गया है।
आते हुए रास्ते मे अनेक “व्यवधानों” को
पार किया होगा ।
राह मे “हिमालय पर्वत” भी मिला होगा ।
मिल कर आये हो क्या “त्रिनेत्रधारी”
“जटाधारी”,”त्रिपुरारी” से।
सुना है तुम्हारे महीने मे उबारते हैं
मनुष्यों को दुनिया जहान के
रोग और शोक जैसे कष्टों से।
अब आ ही गये हो तो ज़रा “सुधि “ले लेना
अपनी उपजाई हुई वनस्पतियों की ।
अपनी आँखों को ज़रा सा “बंजर “जमीन की
तरफ भी फेर लेना।
उगे हो जहाँ “खर पतवार “वहाँ पर
आँखों को “तरेर”लेना।
“जनमानस “के मन मे “उमंग” और “उत्साह “भर देना।
सारे “नकारात्मक”विचार निकालकर “सकारात्मक ”
विचारों को भर देना।
भर देना सभी “जल स्रोतों” को
शुद्ध पानी से “लबालब “।
लेकिन इतना भी मत मस्त हो जाना
कि नदियों के पानी मे “उफान” ला देना।
पता है हमे कि सावन का आना “समृद्धि” और
“हरियाली “को साथ मे लेकर आता है ।
लेकिन नदियों मे ज्यादा बढ़ता हुआ जल
“सैलाब “भी लेकर आता है।
ए सावन ! अब तुम आ ही गये हो तो
पेड़ों पर सावन के “झूलों “को भी डाल देना।
सारी वनस्पतियों को नहला देना।
आपस के “बैर भाव” को मिटा देना।
ऐसे ही नही घूमते फिरते निकल जाना
हर बार की तरह इस बार भी अपनी
उर्वरता दिखा जाना।
चारो तरफ “हरियाली” और “प्रफुल्लता” बिखेरते हुए जाना ।
( समस्त चित्र internet के सौजन्य से )