कोई मूक सा ,कोई आवाक सा…..
किसी के पास आँसुओं का सैलाब….
किसी की आँखें सूखा तालाब सा …..
किसी की आँखें नम सी दिखी ….
किसी की आँखों के कोर से, छलकते दिखे आँसू ….
वहीं दिख गई कहीं आँखों मे हताशा ….
तिरंगे के साथ लिपटे शहीद….
चिरनिद्रा मे सोते हुए दिखे…..
परिवारजनों और देशवासियों के हृदय…..
तार तार होकर रोये …..
उठ गये कितने ही बच्चों के सिर से
पिता के साये……
बुजुर्ग अभिवावकों ने, अपनी हथेलियों से
अनमोल रत्न खोये…..
उजड़ गये परिवार,टूट गई चूड़ियाँ …..
वादियों मे धरा लाल हुई…..
उधर माँग उजड़ गई …..
कोई अंर्तमन के साथ रोया….
कोई दहाड़े मार कर रोया….
आँसुओं से भीगा हुआ चेहरा
मन की व्यथा कह गया….
पिता के इंतजार के साथ, खिलखिलाता हुआ बच्चा…..
शहादत के बाद , बिलख बिलख कर रोया….
वो खूबसूरत वादियाँ गवाह है…..
इंसानियत और मानवता के कत्ल की….
जिस देश की जमीं ने पाला !
जिस देश की जमीं ने सींचा !
उसी को क्यों रक्त से धो दिया ?
सारे देश की आबोहवा मे…..
एक अलग ही अहसास है…..
शहादत पर नतमस्तक हर इंसान है…..
जवानों की विधवाओं और, परिवार के साथ
सारा देश खड़ा है…..
व्यथित मन और आँसुओं के साथ….
शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता….
भारत देश दिख रहा है….
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