लेखन की दुनिया…
शब्दों का तिलिस्म…
कल्पनाओं का मायाजाल..
व्याकरण की दुनिया !
लेखन के साथ दिख जाती
कभी हैरान ,कभी परेशान…
लेखन की दुनिया में
अनेक विधाओं में रचनाएँ दिख रही हैं…
भाषाओँ के दायरे,रचनाओं में खुल रहे हैं…
कविता ,गीत ,ग़ज़ल और कहानियों में…
अन्य भाषाओँ के शब्द …
नमक और चीनी समान घुल रहे हैं….
कविता का सृजन भी बहुत विचित्र सा….
एक शब्द के ऊपर रचना का दारोमदार…
कहानी, अगर शब्दों के दायरे में बंधी…
आधी अधूरी सी लगी…
बही अगर शब्दों के वेग के साथ…
कल्पनाओं के इंद्रजाल में ,जलप्रपात समान दिखी….
शब्दों का सैलाब , विचारों के तिलिस्म में…
जब अविरल सा बह चला…
लम्बी दूरी तय करता दिखा…
तब नजर आया…
खिलखिलाता सा उपन्यास…
लेखन की दुनिया…
लेखक की नजर से…
शब्दों का ही तो तिलिस्म…
कहीं अल्पविराम ,कहीं पूर्णविराम…
कहीं सम्बोधन बोधक ,कहीं विस्मयादि चिन्ह…
अनुच्छेदों के बीच में करते दिखते आराम….
चारों तरफ शब्दों का बिछा सा दिखता जाल…
रचनाओं में दिख जाती कहीं लोकभाषा ,कहीं लोकबोली…
ऐसा लगता मानो विधाओं से कह रही हों…
बनाते चलो हमे भी रचनाओं में हमजोली….
लेखन की दुनिया…
शब्दों का तिलिस्म…
कल्पनाओं का मायाजाल…
मानो या न मानो ,होता तो है…
वीणा वादिनी का अद्भुत वरदान…
शब्दों का तिलिस्म
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