है यह बात बस एक साल ही तो पुरानी…
मन और दिमाग ने मिलकर कुछ अलग
करने की ठानी …
दोनो ने मिलकर सोचा
चलो रोज के काम के बीच मे से छोटे छोटे
पलों को चुराते हैं…
कुछ अपने मन का करते जाते हैं …
लेकर कोरे कागजों को, अपने विचारों के
इन्द्रधनुष के समान ,अलग अलग रंगों से
रंगने की कोशिश तो करते हैं…
मन और दिमाग ने ईमानदारी दिखाया …
कागज और कलम को हाथ मे पकड़वाया..
लेकिन कुछ ही समय के बाद अनिश्चितता
की देहरी पर खड़ा करवा दिया …
क्या पूरा कर पाउंगी मै खुद का बनाया हुआ लक्ष्य ?
इस सवाल को दिमाग मे ला दिया…
पढ़ा था किताबों मे सुना था लोगों के मुंह से
काम कुछ करना है तो सबसे पहले अपना लक्ष्य बनाओ…
महाभारत के अर्जुन या एकलव्य को ध्यान मे तो लाओ..
सोचा हमने पढ़ी और सुनी हुई बातों पर
ज़रा सा गौर फरमाते हैं….
छोटा सा ही सही ,एक लक्ष्य बनाते हैं…
एक साल तक बिना रुके, निरंतर लिखना ही मेरा लक्ष्य था..
माँ शारदे की कृपा ,मेरे मन के उत्साह और मेरे फाॅलोवर और
रीडर्स के उत्साहवर्धन ने मुझे यहाँ तक पहुंचाया है…
मेरे अंर्तमन ने आप सभी को तहेदिल से शुक्रिया फरमाया है 😊
एक साल तक लगातार लिखना ,दिल से लिखना और 100 पोस्ट एक साल मे लिखना, ही मेरा एक छोटा सा लक्ष्य था ,जो आज पूरा हुआ, और निश्चित तौर पर मेरे अंदर नयी स्फूर्ति और ऊर्जा भर गया,खुद के ऊपर और ईश्वर के ऊपर मेरे विश्वास को और बढ़ा गया।
अगर आप लोंग मुझे कोई सलाह देना चाहते हैं,मेरी कमियाँ बताना चाहते हैं, तो Please
Comment boxमे जरूर दीजिए, जिससे मै अपने आप को एक नये लक्ष्य के लिए तैयार कर सकूं और अपने blog को और आगे ले जा सकूं।
(समस्तचित्रinternetकेद्वारा)