भोर की किरणें मस्त और मगन
होकर गुनगुनाती हैं…..
अपने साथ मधुर संगीत के लय और ताल
को छेड़ जाती हैं…..
प्रकृति के साथ खड़े होने पर उनका
संगीत महसूस होता है…..
कभी पत्तियों की सरसराहट तो कभी
चिड़ियों की चहचहाहट के
साथ तान छेड़ जाता है….
ऐसा लगता है मानो जन्नत जमीन
पर उतर आयी हो….
उसे देखकर सारी सृष्टि मुस्कुरायी हो….
सूरज भी अपनी मसखरी दिखाता है….
बादलों के बीच मे लुकाछिपी करता
हुआ नज़र आता है….
किरणें बादलों के बीच मे से झाँक झाँक कर
मचाती रहती हैं धमाल…..
भोर मे दिखाती हैं हमेशा लालिमा
से भरा हुआ आकाश….
आकाश मे परिंदों के ऊपर भी छाया हुआ है
भोर का उल्लास….
पंखों को फैलाकर कभी आते बिल्कुल पास
तो कभी चल देते छूने आकाश…..
सबसे ज्यादा मस्ती बाज दिखा रहा था…..
अपने पंखों को फैलाकर
पता नही क्यूँ इतरा रहा था…..
मौसम बड़ा खुशनुमा दिख रहा था….
गिलहरियों की दौड़ नही थम रही थी….
पेड़ पौधों के अलावा बहुमंजिली इमारतों की
दीवारें भी मिल रही थी…..
तेजी से दीवारों पर चढ़ती जा रही थी….
ऐसा लग रहा था परिंदों को चिढ़ा रही थी…..
सुबह का सूरज और किरणें ऊर्जा से भरे होते हैं…..
मानव जीवन और प्रकृति के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि
से भरे होते हैं…..
आकाश की तरफ देखो तो परिंदो के साथ-साथ
आकाश भी यही बात कहता है…..
( समस्त चित्र internet के द्वारा )