मनुष्य का शरीर भी अनमोल
खजाना होता है…..
मेरे विचार से सिर्फ ज्ञाननेन्द्रियों
का ही तो फसाना होता है……
कितनी महत्वपूर्ण और अनोखी होती हैं
ये ज्ञान की इन्द्रियाँ…..
ज़रा शांत मन से सोचो तो ब्रम्हाण्ड से जुड़ी
होती हैं ये इन्द्रियाँ……
त्वचा,आँख,नाक,कान या हो जीभ
हर किसी की होती है,शरीर के प्रति जिम्मेदारी…..
इनके काम के बिना जीवन को जीना
असंभव सा लगता है…..
आँखें रोशनी का एहसास दिलाती हैं…..
रंग बिरंगी दुनिया से हमारी पहचान कराती हैं…..
अपने अंदर आत्मविश्वास की ज्योति जलाती है….
कान तरह तरह की ध्वनि तरंगों से हमारी पहचान कराते हैं….
दृश्य माध्यम की ध्वनियों को हमे सुनाते हैं….
कभी-कभी माध्यम अदृश्य होता है लेकिन
ध्वनि तरंगें अपना एहसास कराती हैं…..
त्वचा शरीर को रूप रंग और पहचान दे जाती है…..
मौसम की दुश्वारियों से बचाती है….
स्पर्श का एहसास कराती है….
जीभ का है जीवन मे महत्वपूर्ण स्थान…
स्वाद के लेती है तरह तरह के रंग…..
अपने ऊपर शब्दों को कराती है सवारी…..
कभी निकालती है मीठे मीठे शब्द…..
तो आती है कभी कड़वे शब्दों की बारी…..
कहते हैं कि माँ सरस्वती का वाणी पर
वास होता है….
काम अपने हिसाब से कराती हैं……
कभी वाक् रूप से बुलवाती हैं…..
तो कभी लेखनी से लिखवाती हैं…..
अब नाक का तो मत पूछो हाल…..
जीवन यात्रा चलने तक करती है
श्वासों को साधने का काम….
कभी नही करती आराम….
गंध से ही चीजों को परख लेती है….
उसके बाद खाने की चीजों को
जीभ के हवाले करती है…
संगठन मे शक्ति वाली बात हमारा
शरीर ही हमे सिखाता है…..
अब ये मत सोचना कि
केवल दिमाग अपने भरोसे ही
सारे शरीर को चलाता है….
( समस्त चित्र internet के द्वारा )
4 comments
sundar aur sarahniye kavita aur aape vichar kavita rup men…..bahut khub.
धन्यवाद 😊
सुंदर और ज्ञानवर्धक।
धन्यवाद 😊
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