दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु का छोटा सा, हरियाली से भरपूर, ज़रा सा अलसाया सा शहर है ‘कुन्नूर’…….
इस अलसाये से शहर में चाय के बागानों की महक के साथ ट्रेकिंग और पैदल सैर करने का आनंद ही अलग है……
कुन्नूर नीलगिरी पर्वतमाला का ऊटी के बाद दूसरा सबसे बड़ा पर्वतीय स्थल है……
नीलगिरी पर्वत माला को जाने वाले ट्रेकिंग अभियानों के लिए यह एक आदर्श स्थल माना जाता है…….
अनुकूल जलवायु और तापमान होने के कारण अंग्रेजों ने कुन्नूर को अपने निवास स्थल के रूप में प्रयोग किया,साथ ही अंग्रेजों ने चाय के बागान तथा रेल निर्माण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई……
यह ऊटी से 19कि०मी०दूर और सड़क मार्ग द्वारा मेट्टुपलयम से जुड़ा हुआ है…..
समुद्र तल से करीब 1850मी० की ऊंचाई पर स्थित है……
कुन्नूर का मौसम और खूबसूरत चाय के बागान, पर्यटकों को यहां आने के लिए मजबूर करते हैं….
एडवेंचर के शौकीनों के लिए यह पसंदीदा जगह है…..
कुन्नूर नगर की अर्थव्यवस्था गर्मियों के महीनों के दौरान पर्यटकों की आवाजाही, और पूरे वर्ष भर चाय की खेती पर निर्भर करती है……
यहां पर “साउथ इंडियन टी बोर्ड”भी है, जहां चाय के उत्पाद पर रिसर्च और व्यापार के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है……
सबसे पुरानी पहाड़ी रेलवे लाइन नीलगिरी माउंटेन रेलवे है…..
सबसे मनमोहक यहां रेल से, मेट्टुपलयम से कुन्नूर तक की चढ़ाई की यात्रा लगती है……
ये रेलमार्ग पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहता है……
नीलगिरी माउंटेन रेलवे को 2005 में युनेस्को दर्शाया विश्व विरासत स्थल घोषित कर दिया गया….
नीलगिरी माउंटेन रेलवे के अलावा कुन्नूर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अन्य जगहें भी हैं…..
यहां पर स्थित सिम्स पार्क का नाम मद्रास क्लब के सन्1874के सचिव जे डी सिम के ऊपर रखा गया है….
यह एक बागवानी रिजर्व है,जिसका उद्देश्य पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित करना है…
यहां 1000से अधिक प्रजातियों का संग्रह है…..
जापानी सोच के आधार पर इस इस पार्क का निर्माण किया गया है…..
आर्किड और फूल वाले पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियां यहां उगाई और बेची जाती है…..
हर साल यहां पर होनेवाली फल और सब्जियों की प्रर्दशनी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती है…..
कुन्नूर में डाल्फिन नोज नामक चोटी भी आकर्षित करती है….
इस चोटी से नीलगिरी पहाड़ी की खूबसूरती के अलावा लाज फाल्स नामका झरना भी अद्भुत दिखता है…..कुन्नूर से थोड़ी ही दूर मेट्टुपलयम के रास्ते पर कटारी फाल्स नीलगिरी के तीसरे बड़े झरने के रूप में प्रसिद्ध हैं….
अंग्रेजों के समय में बना हुआ सेंट जार्ज चर्च भी देखने योग्य है…..
यहां राज्य कृषि विभाग का एक अनुसंधान केंद्र है…..
अनार और खुमानी की कई किस्में यहां पर देखने को मिलती हैं…..
रेशम उद्योग भी यहां पर राज्य सरकार के संरक्षण में फलता फूलता दिखता है……
कुन्नूर से 13 कि०मी० की दूरी पर स्थित दरूग एक किले के अवशेषों के साथ,अतीत में इतिहास के पन्नों के साथ ले जाता है…..
टीपू सुल्तान ने 16वीं शताब्दी में कभी इस किले का उपयोग किया था…….
कुन्नूर कई प्रसिद्ध हस्तियों का घर भी रहा है…….
कोचीन के महाराजाओं का ग्रीष्म कालीन महल और विजयानगरम के महाराजाओं का महल भी यही पर स्थित है……
नीलगिरी पहाड़ियों पर स्थित कुन्नूर का अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य,मन को मोहने वाली हरियाली के अलावा, तरह तरह के पक्षियों का भी निवास स्थान है……
विभिन्न धर्मो, संस्कृतियों और भाषाओं का यहां पर समागम दिखता है…..
अपनी विलक्षण खूबसूरती को दिखाता हुआ अलसाया सा यह शहर अपनी तरफ पर्यटकों को खींच ले जाता है…..
(सभी चित्र इन्टरनेट से)