जीभ का और स्वाद का होता है हमेशा साथ…..
हर इंसान जानता है गहराई से यह बात…..
कई खाने की चीजें और वनस्पतियां ऐसी होती हैं…..
जो दूर से ही अपनी गंध के द्वारा अपनी उपस्थिति
को बता देती हैं…..
खाने की चीजों के स्वाद को कई गुना बढ़ा देती हैं…..
तो कई ऐसी होती हैं जो स्वाद और गंध के साथ साथ
अपनी तासीर की बात भी बता देती है…..
इसी तरह की वनस्पतियों में से एक होता है “पुदीना”…..
उपयोगी इतना होता है कि, रोजमर्रा की अधिकांश चीजों में
होता है इस्तेमाल…..
ताजगी के साथ खुशबू इसकी होती है बेमिसाल….
जलजीरा की हो बात तो पुदीना का साथ…..
आम की चटनी बिन पुदीना बेकार…..
अनेक खाने पीने की चीजों में इसका उपयोग होता है…..
मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी खुशबूदार जड़ी है…..
इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका
और आस्ट्रेलिया में पायी जाती है…..
हमारे देश में मेंथा की खेती बड़े पैमाने पर होती है…..
इसे कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है……
देश के कई हिस्सों में इसे मेंथा प्रीपरेटा कहा जाता है….
तो कई लोग इसे बोलचाल की भाषा में पुदीना भी कहते हैं…..
ऐसी मान्यता है कि यह एक भूमध्यसागरीय बेसिन का पौधा है….
1960 में हरित क्रांति के समय से मेंथा की खेती पर ध्यान दिया गया….
यूरोपीय देशों से हमारे देश में आया था, इसलिए इसको
यूरोपीय मिंट भी कहते हैं……
यह चिकित्सा विज्ञान में प्रचलित रूप से एरोमाथिरेपी में
उपयोग में आता है….
चुइंगम कैंडी टूथपेस्ट और माउथवॉश में स्वाद लाने के लिए
अति लोकप्रिय है…..
पुदीने की पत्ती को खुजली को शांत करने और संक्रमित त्वचा को
स्वस्थ करने के लिए उपयोग में लाया जाता है……
मिंट आयल का उपयोग इनवायरमेंट फ्रेंडली इन्सेक्टीसाइड के रूप
में भी किया जाता है…..
माइग्रेन एवं तनाव संबंधी सिर दर्द में करता है यह कमाल……
पुदीने के तेल की मनोहर सुगंध का स्मरण शक्ति एवं एकाग्रता
पर पड़ता है आश्चर्य जनक प्रभाव…..
पुदीना आमतौर पर प्रचलित रूप में अपच का इलाज करने के
लिये होता है इस्तेमाल…..
पेट की मांसपेशियों को देता है आराम…..
इतने सारे गुणों के कारण उपयोगी होता है…..
यूं ही नहीं गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी कहलाता है…..
( सभी चित्र इन्टरनेट से)