(चित्र internet के द्वारा )
इरादे खुद के ही बुलंद करके …..
सफर पर एक बार फिर से निकल पड़े ….
राह होती नही सफलता कि आसान
यह बात हमे भी है पता ….
मान कर हार बीच राह मे रुकना
शायद फितरत मे नही ….
रास्ते सीधे सपाट हो या पथरीले कटीले ….
हाथ मे कागज और कलम को
ज़रा अपनेपन से पकड़ा है …..
चलते हुये रास्तों मे से ,कभी कविता, कभी कहानी ….
या कभी गद्य की अन्य विधाओं मे अपने विचारों को
बुनने का इरादा किया है …..
हर बार ठहर कर आगे बढ़ने पर, मन रहता है सशंकित ….
कैसे होगा खुद का ही बनाया हुआ लक्ष्य पूरा …..
दिमाग भटकाने की कोशिश मे लग जाता है ……
होता हुआ सबेरा आँखों को उजाला दिखाता है ……
देख कर रोशनी की मद्धिम सी किरण ……
आत्मविश्वास धक्का मारने की कोशिश मे जुट जाता है ……
ठहरकर एक बार फिर से नये लक्ष्य को रखा है सामने …..
बर्फीला तूफान हो या धूल भरी आँधियाँ ……
एक बार फिर से मजबूत इरादों को साथ लिया है ……
ईश्वर पर आस्था और सकारात्मक दृष्टिकोण
मुश्किल राह पर रोशनी दिखायेंगे …….
सफलता की राह पर मजबूती के साथ बढ़ाना है कदम
बस यही किया है इरादा….
क्योंकि खुद से ही लड़ भिड़ कर किया है…
एक बार फिर से आगे बढ़ने का वादा ……