भोर का आकाश हमेशा दिखता है विशेष…..
कालिमा का बचता नहीं है रत्ती भर भी अवशेष…..
रात का अंधियारा दिखता नहीं शेष……
क्योंकि आकाश में दिख रहा है अरुणिमा के साथ दिनेश…..
नीले आकाश में अपनी लालिमा को बिखेर रहा…..
लालिमा के द्वारा ही अपनी उपस्थिति दिखा रहा……
धीरे-धीरे अपनी चमकीली किरणें छिटका रहा…..
आकाश की तो रोज की यही कहानी है…..
हर दिन एक ही कहानी दुहरानी है….
उदय और अस्त होते समय में भी
आकाश को समानता दिखानी है…..
आज भी बादलों और सूर्य की किरणों का चल रहा था खेल…..
धरा और किरणों का दिख रहा था मेल…..
शीत ऋतु सिमटी हुई दिख रही थी…..
हवाओं की ठिठुरन में अब कमी आ रही थी….
आकाश तो हमेशा प्रेरित करता है…..
ऐसा लगता है मानो बोल रहा हो….
अपनी असफलताओं और सफलताओं दोनों
का मुझे साक्षी बनाइये…..
दिनकर अनंत व्योम में ही तो अस्त होता दिखता है…..
सामान्य जनमानस को भ्रमित करता है….
अगले दिन पूरे जोश के साथ उदय होता है…..
अवनि से अंबर तक अपनी
चमकीली किरणें बिखेरता दिखता है…..
प्रकृति हमेशा आश्चर्य में डालती है….
जीवन और प्रकृति का साथ आश्चर्यजनक और
अद्भुत सा होता है…..
हर जीव में जीवन सूर्य की किरणों के साथ
खिलखिलाता हुआ नज़र आता है……
सूर्य के छिपते ही आकाश अंधियारे के बीच में भी
चांद और तारों के साथ चमकता है……
केवल दिन की रोशनी ही जीवन को नहीं साधती….
कालिमा भी जीवों को जीवन की डोर से बांधती….
कुछ जीवों में जीवन चंद्रमा की किरणों का
इंतजार करता हुआ नज़र आता….
निशाचर जीवों में चहल-पहल बढ़ जाती है…….
क्योंकि उन्हें चंद्रमा की किरणें और तारों की चमक भाती है….
रात के अंधियारे में अगर ध्यान से जीवों को देखो…..
तो वहां भी जीवों की चहल-पहल जीवन को उत्साह से
जीने के भाव से दिख जाती है……
( सभी चित्र इन्टरनेट से)