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जलस्रोत, जीवन का आधार

by 2974shikhat May 17, 2018
by 2974shikhat May 17, 2018

Save earth

सृष्टि की शुरुआत की अगर बात करें तो…….

पृथ्वी के आग के गोले के रूप के शांत होने के, लगभग हजारों साल के बाद, पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से जल की उत्पत्ति हुई…..

जल के उत्पन्न होने के बाद ही, प्राणियों और वनस्पतियों का अस्तित्व सामने आया……

यह बात वैज्ञानिक शोधों के जरिए सिद्ध की हुई है कि “जल ही जीवन का आधार है”…..

जल की बात करते ही जल के स्रोत की तरफ विचार फिरते हैं…..

उंगलियों के पोरों से तमाम जलस्रोत क्रमशः गिनते हैं…..

Save water resources

जलस्रोत भी बहुत उपयोगी होते हैं……

सोचो अगर तो आकार और उत्पत्ति के आधार पर

नाम इनके कई होते हैं…….

कई जलस्त्रोत तो मानव-निर्मित होते हैं…….

Save water resources

कई जलस्त्रोत प्रकृति-निर्मित होते हैं…….

सागर, नदी,झील, बावड़ी,कूप, जोहड़ और ताल…….

ये हैं चुनिंदा जलस्रोत के नाम……

होता है इनके भीतर छोटे से लेकर, बड़े जीव जंतुओं का साथ……

विभिन्न जलस्रोत के बीच में अगर, नदियों के बारे में बात करें तो……

नदियों के स्रोत झील,हिमनद या बारिश का पानी होते हैं…..

नदियों में भी बरसाती नदियां, बारिश के पानी पर निर्भर करती हैं…..

सदानीरा नदियां सालभर नीर के साथ दिखती हैं….

अविरल बहता हुआ नीर ,अपने उद्गम स्थान से निकलकर…..

लंबी दूरी तय करता है……

Save water resources

कहीं तो प्रदेशों को जोड़ता है……

तो कहीं अलग अलग देशों की

जमीन पर अविरल बहता हुआ दिखता है…..

कल कल करती हुई नदियां,जीवन से भरी दिखती हैं…..

आस्था और धर्म के सैलाब को अपने किनारों पर रोकती हैं….

लगते हैं नदियों के मुहानों पर,विभिन्न अवसरों पर मेले…..

आध्यात्म और शांति की तलाश में विदेशी भी

इन नदियों के किनारों पर टिके…..

अपने देश की बात हो या परदेश की……

नदियां उस देश की सभ्यता और संस्कृति को

अपने साथ लेकर डोलती हैं……

विश्व की अभी तक जितनी सभ्यतायें ज्ञात हैं……

वो किसी न किसी नदी के किनारे ही विकसित हुई है….

Save water resources

सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही……

सबसे प्राचीन सभ्यताओं सिन्धु घाटी और आर्य सभ्यता का विकास हुआ……

प्राचीन काल में नदियां व्यापार और यातायत का मुख्य

माध्यम हुआ करती थीं……

सांस्कृतिक विरासतों को सहेजते हुए, धार्मिक स्थलों के

पास से गुजरती थीं…….

वर्तमान में नदियों का स्वरूप बदल चुका है…..

या यूं कहिए कि विकास के कारण, प्रदूषण की भेंट चढ़ चुका है…..

कलकलाती हुई धारा अतीत में विलीन सी दिखती है……

Save water resources

नदियां इको सिस्टम का आधार है…..

नदियों में बढ़ता हुआ प्रदूषण फूड चेन को असंतुलित

करता जाता है……

जलीय जीव जंतुओं को निगलता सा नज़र आता है…..

नदियां सिर्फ जलस्त्रोत ही नही होती…..

नदियां जीवनरेखा हैं…..

नदियों को प्रदूषण मुक्त करना……

जल प्रवाह को अविरल रखना…..

हर किसी की जिम्मेदारी है……

क्योंकि सच में नदियां मानवता की रक्त शिराएं हैं…….

नदियों के मृत होने का मतलब,इंसानी सभ्यता और संस्कृति का

खत्म होना है……

Save water resources

इसीलिए प्रकृति के स्रोत के साथ जल को, सम्मान के साथ अपनाना

हर नागरिक का कर्तव्य है….

(सभी चित्र इन्टरनेट से)

DutyEarthEncouragementEnvironmentIndian society and cultureMotivationnaturePeace and TranquilityPollutionSave water resourcesWater conservation
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2974shikhat

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