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चाय की गुमटी 

by 2974shikhat October 9, 2017
by 2974shikhat October 9, 2017

सर्दियों की धुंध मे लिपटी हुई दोपहर हो या शाम,झमाझम बरसती हुई बूँदों का साथ हो या रिमझिम बरसती हुई बूँदें ,ये चाय की गुमटी हमेशा खुली रहती है। कहीं टीन टप्पर से ढँकी रहती है, तो कहीं पेड़ों के नीचे या ,सड़क के कोनों पर तिरपाल से ढँकी रहती है।
ये चाय की गुमटी भी ,बड़ी अजीब सी जगह होती है।सुनना चाहो या न चाहो, अमेरिका की राजनीति हो ,या भारत की सारे महत्वपूर्ण मुद्दे परिणाम के साथ यहीं पर शुरू होते हैं। चाय की केतली की गर्माहट से भी ज्यादा वातावरण मे गर्मी फैलाकर थोड़ी ही देर मे ठंडे पड़ जाते हैं।

चाय की गुमटी भी हरउम्र के लोगों के दिमाग को हल्का करने की जगह ही होती है।हर राज्य
के लोगों का स्वभाव, रहन सहन ,खान पान अलग अलग होने के बाद भी चाय की गुमटी का माहौल एक समान ही होता है।

“अविका”यही सब सोच रही थी ,घर मे अपने हाथ से बनी हुई चाय पीकर जब बोर हो जाती है, तो अदरक और इलायची की खुशबू की महक चाय की गुमटी की तरफ आज भी खींचती है।

गुजरात और महाराष्ट्र मे तो महिलायें हमेशा से ही ज्यादा दिखावे के बिना अपनी जिंदगी को जीती हैं ,तुलनात्मक रूप से उसे दिल्ली दिखावे वाला शहर ज्यादा लगता था।सोचते सोचते अपना शहर याद कर रही थी, कालेज की सहेलियों के साथ कैन्टीन की जगह चाय की गुमटी मे चाय पीना ज्यादा अच्छा लगता था।

कालेज के समय सब के पास थोड़े से पैसे होने के बाद भी हर कोई दिल का अमीर होता था।
चाय के पैसे देने के नाम पर हर कोई अपने कदमो को आगे बढ़ाता था ।लेकिनअब कालेज के समय वाली बेफिक्री और सहेलियों का साथ नही होता ।अपार्टमेंट की कुछ सहेलियाँ तो कभी कभी साथ मे सड़क के किनारे लगी चाय की गुमटी तक साथ देती हैं लेकिन कुछ की नाक तो ऐसी टेढ़ी मेढ़ी होती है, जैसे घड़ी की सुई 6 बजे से 6:15या6:45 पर सरक गयी हो।

पिछले रविवार की ही तो बात थी मिसेज अरोड़ा ने अपनी तीखी सी नाक को सिकोड़ते हुये बोला क्या मिसेज कुमार आप अपना स्टेटस मेन्टेन नही करती ।ये ठेले से गोलगप्पे खाना ,सड़क के किनारे भुट्टे वाले से भुट्टे खाना ये सब आप को शोभा नही देता ।मैने तो आप को तपती दोपहर मे रोड के किनारे से छोले कुल्चे भी पैक कराते हुए देखा है।

“अविका”मिसेज अरोड़ा की बातों को हँसी मे उड़ा ले गयी ,हँसते हँसते बोल गयी क्या बात करती हैं आप मिसेज अरोड़ा, जो मजा इन छोटी छोटी सी चीजों के साथ जिंदगी को जीने मे है ,उसकी तुलना आप बड़े बड़े रेस्टोरेंट और फाइव स्टार होटल से नही कर सकती । मै आप को इन फाँय फूय सी जगहों के अलावा ,इन छोटी छोटी जगहों पर भी घुमा दूँगी एक बार चलिये तो आप मेरे साथ ।

इतना बोलने के बाद अविका ने तिरछी नज़रों के साथ मिसेज अरोड़ा को देखा।मिसेज अरोड़ा के चेहरे के भाव को देखकर वो अपनी हँसी नही रोक पायी।सड़ा सा मुँह बना कर मिसेज अरोड़ा अपनी आॅडी मे उड़ चली ।

अविका के दिमाग मे आगे की कहानी तेजी के साथ घूमने लगी अगली किटी पार्टी गासिप मुद्दा मिसेज कुमार का अपना स्टेटस मेन्टेन नही करना होगा।
घुमा फिरा कर इसी बात से महफिल सजेगी।कभी कभी उसे मिसेज अरोड़ा के ऊपर दया भी आती थी कोई भी बात बिना नमक मिर्च के बिना उनसे उगली ही नही जाती थी ।

बड़ी तेजी के साथ उसने अपने दिमाग से इन बातों को झटक कर गुमटी वाले को पैसे देकर अपनी कार की तरफ पाँव बढ़ा चली ।लेकिन कार मे बैठते ही विचारों के साथ-साथ सवालों का सिलसिला चल पड़ा।सोचने लगी पता नही क्यूँ लोगों को दिखावा करने मे इतना मजा आता है।बातों का मुद्दा कपड़े ,ज्वूलरी,फाॅरेन ट्रिप के अलावा भी तो हो सकता है।

पिछली साल भूकंप आने पर नीचे भागते समय कितने लोगों को दुपट्टे से अपने मुँह को ढँके हुये देखा था, क्योंकि चेहरा बिना मेकअप का था।मिसेज अरोड़ा भी तो उन्हीं मे से थी।अंदर से कितना खोखला होता है इंसान ।गाड़ी पार्क करके अपने घर की तरफ बढ़ चली, अंदर पहुंच कर सबसे पहले सोफे पर आराम से लेट गयी।

आँखें झपकते ही डोर बेल की आवाज से हड़बड़ा कर दरवाजा खोला, तो देखा सामने बेटा राघव खड़ा था ।बड़े अनमने से भाव उसके चेहरे पर आ और जा रहे थे।दुलार करने के बाद खाना खिलाते समय प्यार से अविका ने राघव से उसके अनमनेपन का कारण पूछा।

गुस्सा दिखाते हुए उसने अपनी रौ मे बहते हुए कहना शुरू किया, नही जाना मुझे कश्मीर की वादियों मे,केरल की हरियाली और हिमालय को देखने आप मुझे आज तक एक भी फाॅरेन ट्रिप पर नही ले गयी।आपको पता है, दुबई की फ्लाइट की टिकट का किराया कभी कभी हमारे देश के शहरों से भी कम होता है,मेरी क्लास के सारे बच्चे अपनी फाॅरेन ट्रिप के बारे मे बातें करते हैं,बड़ी मुश्किल से राघव को समझा पायी थी अविका ।

माँ को उदास देखकर 11साल का राघव गले मे अपनी बाँहे डालकर झूल गया।आप परेशान हो गयी माँ मै तो बस आपको ये समझा रहा था कि ज़रा अपना दायरा बढ़ाइये ।हर साल उन्हीं उन्हीं जगहो पर घूमने से अच्छा है कि नयी जगहे चले।

उसके भोलेपन से कही बातों को सुनकर अविका अपनी मुस्कान रोक नही पायी, और राघव के गालों को प्यार से चूम लिया । राघव भी निश्चिंतता के साथ अपने खेल मे जुट गया और अविका कमरे को समेटने मे।

कपड़ों को समेटते हुये उसे मिसेज अरोड़ा की बात याद आने लगी उनके बेटे राॅकी के क्लास के तीन लड़कों के पेरेंट्स को प्रिंसिपल मैम ने क्लास मे सिगरेट के टुकड़े मिलने पर स्कूल मे बुलाया था और हफ्ते भर के लिये स्कूल न आने को कहा था वो भी बहुत ज्यादा कहासुनी के बाद।

तब से मिसेज अरोड़ा राॅकी के घर आने के बाद उसके कपड़ों को किसी न किसी बहाने सूँघ लेती हैं ,कि कहीं कुछ टोबैको जैसा तो नही महक रहा है । वैसे 11thया 12thमे पढ़ने वाले लड़कों को सँभालना लड़कियों की तुलना मे शायद ज्यादा मुश्किल होता होगा।सारी बुरी आदतें इसी उम्र मे तो लगती हैं।

कल अपनी धुन मे काम करते करते 11साल के राघव के कपड़ों को सूँघते देख राकेश ने जोर से हँसते हुए अपना गुस्सा दिखाया ।ये क्या पागलपन है अविका! दूसरों की बातें सुनकर अपने दिमाग मे छोटे से बच्चे के लिये शक ला रही हो।राकेश की बातों को सुनकर आत्मग्लानि से
भर गयी वो।

राकेश ने प्यार से समझाया सबसे पहले अपने बच्चे के ऊपर विश्वास करो, वो क्यों इस तरह के काम करेगा।मेरे कार्डियोलाॅजिस्ट होते हुए मेरा बेटा स्वस्थ रहने की अहमियत को क्यूँ नही समझेगा ।

हँसते हँसते बोल गये राकेश ,आज किस ठेले से गोलगप्पे या छोले कुल्चे खा कर आ रही हो।
अगर चाय न पिया हो, तो मेरे लिए भी बना लेना, और शाम को तैयार रहना ,फाइव स्टार होटल मे पार्टी है ,चलना मेरे साथ…

अविका के चेहरे पर कुछ क्षण के लिए ,अनमने से भाव आये फिर सहज हो गयी । इस तरह की जगहों पर जाकर लोगों से मिलना भी ,जिंदगी का दूसरा पहलू दिखाता है..
कितना अंतर होता है ,जीवन के सफर मे चलते हुए अलग अलग तरह के दायरे मे सिमटे हुए लोगो को देखने और समझने मे ….
लेकिन खुद को बनावटीपन मे लपेटे हुए लोंग चाय की गुमटी हो या फाइव स्टार होटल की पार्टी हर जगह आसानी से दिख जाते हैं….

गहरी साँस लेकर एक बार फिर से कपड़ों की आलमारी खोल कर खड़ी हो गयी, शाम की तैयारी के लिए …..

(समस्त चित्र internet के द्वारा )

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Gouri (Gourav Anand) October 9, 2017 - 6:35 am

वाह दिल को छू गयी आपकी ये पोस्ट। छोटी छोटी चीजों में जो खुशी है, वो , वो कभी नही समझ सकते जिन्होंने इन्हें कभी महसूस ही न किया हो।

Mrs. Vachaal October 9, 2017 - 7:11 am

मेरी पोस्ट को पढ़कर तारीफ करने के लिए शुक्रिया।मेरे ख्याल से जीवन मे छोटी छोटी चीजों से जो खुशी मिलती है उसे आप पैसे या प्रभाव से हासिल नही कर सकते😊

Gouri (Gourav Anand) October 9, 2017 - 2:15 pm

जी बिल्कुल!!😊😊

luminouslife154 October 9, 2017 - 1:55 pm

Lovely post

Mrs. Vachaal October 9, 2017 - 4:11 pm

Thanks😊

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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