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खान-पान की दुनिया,और रसोई का साथ

by 2974shikhat April 19, 2019
by 2974shikhat April 19, 2019

Expression

अंतरिक्ष मे सुनाई पड़ती मानव की उड़ान….

विज्ञान की दुनिया मे, कभी ग्रह तो कभी उपग्रह की

सुनाई पड़ती बात….

विकास के साथ-साथ,पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था ने….

देखते ही देखते ,आधुनिकता के चोले को अपनाया….

एकमेव स्वर मे शोर सुनाई पड़ा…

आखिर भारतीय रसोई को भी तो

पारंपरिकता के दायरे से बाहर निकालो…..

दाल-चावल, रोटी- सब्जी, पापड़,चटनी,अचार से अलग…

अन्य खाने पीने की चीजों से सजा लो….

सबसे पहले मिट्टी के चूल्हे मे बदलाव दिखा….

लकड़ी, बुरादे,कोयले,उपले की जगह….

एल पी जी सिलेंडर ने, रसोई मे अपने कदमो को रखा….

चाहे समाज का कोई भी तबका हो…

हर घर ने रोटी को, चकले पर घूमते हुए देखा है….

थाली मे आटे की दीवारों के भीतर….

कुआं या तालाब बनता रहा है….

सच मानिये तो जहाँ आटा गूथना एक कला है…

वही रोटी का गोल आकार मे बनना रचनात्मक गुण है…

सामाजिक विद्रोह,हमारे देश की स्वतंत्रता का संघर्ष. ….

कमल और रोटी की याद आती है बात …..

सिनेमा जगत की दुनिया ने भी रोटी को….

बताया है संघर्ष के बाद मिलने वाला प्रसाद….

Food and happiness

पारंपरिक सोच यह कहती है कि,परिवार को बांधने का काम रसोई करती है।

जहाँ पर महिलाओं और लड़कियों की अहम् भूमिका होती है।

इन्हीं रसोईयों मे हमारी संस्कृति और, खान पान की विरासतें फलती फूलती हैं।

एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अपने सफर को पूरा करती हैं।

आज की भागादौड़ी वाली जीवनशैली मे,स्वास्थ्य वर्धक खाने को परे रखते हुए देखा है।

समाज मे जीवन को जीने के स्तर को, भौतिक रूप से ऊपर उठाने की कोशिश मे,मानसिक रूप से उलझते हुए देखा है ।

Food and happiness

रसोई की तरफ नज़रों को फेरा तो काली,पीली, हरी,सफेद दालों और मसालों के बीच मे भ्रम होते हुए देखा है।

आधुनिक तकनीकि को जानने और समझने वाले वर्ग को,रसोई की दुनिया मे कभी झुन्झलाते तो कभी रोते बिलखते हुए देखा है।

खाने को पकाने के तरीके को महत्व न देकर, बाजार के खाने पर निर्भर होते हुए देखा है।

रसोई की दुनिया ने आज के समय मे, व्यावसायिक स्तर पर बहुत ऊंची उड़ान भरी है।

खाने पीने की चीजों का उद्योग ! मेरे विचार से बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

एकल परिवार का ढांचा! कामकाजी लोगों की बढ़ती हुई संख्या !तेजी से होता हुआ शहरीकरण!

घर से बाहर के खाने को प्राथमिकता देने पर विश्वास करता है।

मध्यमवर्गीय परिवारों के पास,अपनी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के बाद,बाहर के खाने पीने की चीजों पर खर्च करने के लिए अच्छा खासा पैसा उपलब्ध है।

भारतीय रेस्टोरेंट उद्योग जो 2016तक 20,400 करोड़ रुपये का माना जाता था,2021 तक 51,000हजार करोड़ की संख्या को पार कर जायेगा।

इस तरह के आंकडों के साथ, और खाने पीने की दुनिया मे नये नये प्रयोगों के साथ NRAI (National Restaurants Asociation of India)और QSR(Quick Service Restaurants)भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरतों को समझते हुए, एक मंच पर एकत्रित होते रहते हैं।

बाजार की व्यवस्था और खान पान, अपनी गुणवत्ता को बनाये रखने मे कोई कसर नही छोड़ते।

लेकिन ! मानव शरीर लंबे समय तक ,बाहर का खाना नही झेल पाता।

यह बात रेस्टोरेंट उद्योग के द्वारा भी स्वीकार्य है कि, भारतीय समाज पूरी तरह से विदेशी खान पान को नही अपना पाता।

Food and happiness

भारत मे 1996मे प्रवेश करने वाली अमेरिकी फास्ट फूड चेन ‘मैकडानल्ड्स’ ने भारतीय समाज का परिर्वतित चेहरा दिखाया।

मध्यमवर्गीय परिवारों ने ‘मैकडानल्ड्स’ के खाने को हाथों-हाथ लिया।

देखते ही देखते दो सालों के भीतर अलग-अलग फास्ट फूड चेन भारत मे दिखाई देने लगी।

Food and happiness

बर्गर किंग,डन्किन डोनट्स,पिज्जाहट,डाॅमिनोस,केफसी …इसके अलावा कैफे के रूप मे स्टार बक्स,कोस्टा काॅफी,कैफे काॅफी डे… के आउटलेट्स भारत के अनेक शहरों मे दिखने लगे।

आज आपको परिवार मे ,दोस्तों के बीच मे,समाज मे तमाम लोग ऐसे मिलेंगे जो घर के खाने को तुच्छ नज़रों से देखते हैं।

लेकिन बाहर के खाने को वरीयता देता हुआ, बड़ा तबका आसानी से दिख जायेगा।

इक्कीसवीं सदी की शुरुआत मे ,बाल्यावस्था मे दिखने वाला रेस्टोरेंट उद्योग! आज अपनी तरुणाई के शिखर पर है ।

आपको सलाद से लेकर, रोटी पराठे, स्वादिष्ट पकी पकाई सब्जियाँ सभी तरह का भारतीय और विदेशी खाना QSR के माध्यम से उपलब्ध है।

Food and happiness

ताजा खाना चाहिए वो मिलेगा,फ्रोजन फूड चाहिए वो मिलेगा । चाय ,काॅफी,लस्सी तरह तरह के तरल पदार्थों के साथ खाने पीने का बाजार तैयार दिखता है।

सब्जियों को बाजार से खरीद कर लाना ,अलग-अलग तरीके से काटने की भी जरूरत नही है

कटी हुई साफ सुथरी सब्जी, पैकेट मे उपलब्ध है।

ज़रा सी विसंगति हमे रसोई के संदर्भ मे यह समझ मे आती है ।

घरों मे दिखने वाली रसोई ही,स्वाद की दुनिया के जानकारों,और खान पान की दुनिया मे ऊंचाईयों को छूने वालों को पनपने का अवसर देती है।

Food and happiness

लेकिन फिर भी घर की रसोई मे बनने वाला खाना युवाओं और बच्चों को बेस्वाद समझ मे आता है।

सोचने विचारने योग्य लगती है यह बात…..

(सभी चित्र internet से )

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मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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