राह में चलते चलते हमेशा की तरह
रास्तों पर नज़र ठिठक गयी….
रास्तों की अहमियत दिमाग में घर कर गई…..
रास्ते भी कितने महत्वपूर्ण होते हैं…..
आवागमन की सुविधा के
मद्देनजर ही बनते हैं……
ध्यान से देखा तो रास्ते गहरी खाई में
भी नज़र आ रहे थे…..
कहीं बनने के क्रम में नदियों की धारा को
ही मोड़ते नज़र आ रहे थे….
कहीं तो रास्ते विशाल पर्वतों के अहम् को भी हिला जाते हैं….
ऊंचे नीचे और सर्पिल रास्ते बनते जाते हैं….
पौराणिक कहानियों के अनुसार
समुद्र का भी अहम् टूट गया…..
सत्कर्म के लिए सागर के ऊपर भी सेतु के माध्यम
से रास्तों का निर्माण हो गया…
जंगलों को देखकर कौतूहल मन में समाता है….
इन बीहड़ों के बीच में इंसान कैसे
रास्ता बनाता है……
चमकीली सी किरण सघन वन में दिख रही थी…
अपनी रोशनी से अंधकार को दूर कर
उजाले को भर रही थी……
बड़े बड़े वृक्ष भी कितने सहृदय दिखते हैं…..
राह मे चलते चलो तो इनके अलग-अलग
नाम और रूप दिखते हैं…..
अपनी छांव के नीचे कोमल वनस्पतियों को
सहेज कर रखते हैं….
ये पेड़ और पौधे कच्चे रास्तों पर बनी हुई
पगडंडियों के प्रत्यक्षदर्शी दिखते हैं…..
पगडंडियां भी बड़ी रहस्यमई दिखती हैं…..
निर्माण के क्रम में पता नहीं कितना समय लेती हैं…..
पगडंडियां राह में आगे बढ़ने के लिए रास्ता दिखाती हैं……
कहीं कहीं दिखते हैं इन रास्तों पर पदचिन्ह….
तो कभी नज़र नहीं आते कोई पदचिन्ह…..
चलती हुई पगडंडियां बातें भी बहुत करती हैं…..
आगे बढ़ चुके पथिकों के बारे में
अपने मुंह को खोलती हैं…..
कच्चे रास्तों के आसपास दिखती हुई वनस्पतियां
आपस में घनिष्ठता दिखाते हुए दिखती हैं….
परिंदों का कलरव ध्यान खींचता है……
पेड़ों के ऊपर ही इनका घर होता है…..
जीवन के सफर में चलते हुए भी राही को
कच्चे रास्तों पर चलना पड़ता है……
ये पगडंडियां भी प्रेरित करने का काम करती हैं…..
कच्चे रास्तों पर भी हिम्मत और हौसले को
साथ लेकर आगे बढ़ने की बात करती हैं……
(सभी चित्र इन्टरनेट के द्वारा)