जीवन के लिए आवश्यक बातों का करें अगर ध्यान…..
तमाम बातें जेहन में आती हैं……
चिंतन ,मनन करते हुए देख कर
धूप भी मंद मंद मुस्कुराती है……
ये धूप भी बड़ी अजीब होती है….
कभी गुनगुनी सी, कभी मुनमुनी सी ……
कभी तीव्र किरणों के साथ……
जीवन के सरगम को गाती है…..
भोर की किरणों के साथ धूप सौम्य सी
नज़र आती है……..
सूरज के चैतन्य होते ही ……
धूप भी अपनी मस्त मौला चाल चलती नज़र आती है……
कभी तो सारी छत पर अपना आधिपत्य जमा लिया……
छतों पर रखे हुए अचार,बड़ी, पापड़ को खाने योग्य बना दिया…
कभी छत या बालकनी के किसी कोने पर जा टिकी……
देखते ही देखते मुंडेरों से सरकती हुई दिखी……..
जाकर बगीचों में वनस्पतियों के ऊपर टिकी…….
दरारों और झरोखों की सहायता से
मकानों के भीतर भी सरक आती है…….
ये धूप भी बड़ी नटखट सी नज़र आती है……
ऊर्जा और प्रकाश का मूलभूत स्रोत होने के कारण……
जीवन के लिए धूप बहुत महत्वपूर्ण होती है…….
इसकी प्रकृति पर भूमंडल के भिन्न-भिन्न भागों का
जीवन निर्भर करता है…..
स्नायु संबंधी मानसिक रोगों के उपचार में
धूप चिकित्सा ,अनुपम योगदान देती है…..
भारतीय संस्कृति में हजारों बरस से
भोर की सौम्य किरणों के साथ…….
कोमल धूप में सूर्य नमस्कार करने की
अद्भुत परंपरा विद्यमान है……
कोमल धूप में किया गया सूर्य नमस्कार……..
तमाम तरह की बीमारियों के लिए रक्षा कवच
का काम करता है………..
धूप की अहमियत को हर जीवन समझता है….
धूप वो है जो सर्द मौसम में अपनी, गुनगुनी सी ऊष्मा से
ममता का एहसास कराती है…….
धूप वो है जो वर्षा ऋतु में पानी की बूंदों
के बीच से गुज़र जाती है……
देखते ही देखते इंद्रधनुष के रंगों को आकाश में
बिखेरती नज़र आती है…..
धूप वो है जो ग्रीष्म ऋतु में अपने स्वभाव में
कठोरता दिखाती है…..
कठोरता दिखाते हुए, पसीने के रूप में
ज़हरीले पदार्थों को शरीर से निकालती है………
धूप वो है जो पतझड़ की ऋतु में पनपती हुयी
कोमल पत्तियों पर अपना स्नेह लुटाती है…….
धूप वो है जो वसंत ऋतु में सारी सृष्टि को
प्रफुल्लित सा दिखाती है……..
नन्हा सा बीज जो धरा के भीतर अपने पांव को पसारकर…..
धरा के ऊपर अपने हाथों को ऊपर उठा कर अंगड़ाई लेता
नज़र आता है……
तब धूप ही तो होती है जो, अपने स्नेह से पौधे को
पोषित करती जाती है……
अद्भुत साथ प्रकृति और जीवन का होता है……..
बिना धूप के स्वस्थ जीवन , हर प्राणी के लिए असंभव होता है……
(सभी चित्र इन्टरनेट से)