December 9, 2016
शांत दिखता हुआ समुद्र ,अपने भीतर कितनी नदियों को जगह देता है । समुद्र के किनारे खड़े होकर देखने पर , हँसती खिलखिलाती हुयी उसकी लहरें , बहती हुयी मंद-मंद शीतल हवा से, हम अपने आप को आनंदित महसूस करते रहते हैं और मन Positivity से भर जाता है । हमारे अंदर निश्चित तौर पर ‘ Positive effect of nature’ आता है ।
समुद्र का नीला पानी और नीला आकाश कितना सुकून देता है न मन को । पाँव को छू कर जाती हुयी लहरें अपने साथ-साथ पाँव के नीचे की रेत को भी सरका ले जाती हैं । ऐसा लगता है कि अपनी ताकत दिखाते हुये कह रही हो , ऐ मनुष्य! कितना अभिमान करता है रे तू!
ये क्या तूफान आ रहा है ….
या विचारों का भूचाल आ रहा है ….
जीवन की आपाधापी मे ……
ये कैसी उलझने हैं…..
लिखना तो था गद्य ! …..
लेकिन ये तो पद्म ! लिखता जा रहा है….
हर जीवन है कुछ अलग सा…
ये भी कहता जा रहा है ….
बहती है नदियाँ, करती हुयी कलकल…..
ये शोर तो नहीं है ,ये ही कहता जा रहा है…..
हम सब ने ये देखा है ……
सूर्य की किरणें ही सत्य है , इसमे न धोखा है…..
चंद्रमा की शीतलता से ही है, मन की शीतलता…..
विज्ञान में भी ज्योतिष विज्ञान , यही कहता जा रहा है ….
वो है परिंदो की चहचहाहट …..
या भावों के आने की आहट ….
ये भी कहता जा रहा है ..ये भी कहता जा रहा है
मन के भावों का भी आना जाना …..
यूँ ही चलता जा रहा है …यूँ ही चलता जा रहा है ….
सागर की लहरें हैं , कैसी उद्वेग से भरी….
कभी गिरती हैं , कभी उठती हैं , वेग से भरी…..
वो दिखता है हिमालय , किसी तपस्वी के जैसा…
देखकर हिमशिखाओं को हो रहा …
मन मे , झंझावात ये कैसा ?…
वो शहरों के अंदर, एक अजीब सा शोर है …..
आकाश को तो देखो ,हो गया अब भोर है …..
ये दिन और रात का ,होना ही शाश्वत है …..
जैसे जन्म और मृत्यु का, होना ही सत्य है …..
समझ लिया है जिसने इसको , वही जिया जा रहा है..
नहीं तो जीवन को गरल समझ कर ही, पिया जा रहा है …
जीवन जीना है तो, सरलता से जी लो……
छलावे को छोड़ दो ,समग्रता मे जी लो…..
मन के भुलावे को , समझ लो छलावा ….
जिसने समझ लिया इसे , उसने किया न दिखावा….
0 comment
Bahut khoob
Thanx Manisha☺