October 9, 2016
Nature को रंग चुनने का अधिकार होता है क्या?
तुरंत ही अंतरात्मा से आवाज आती है ..केवल प्रकृति को ही तो है ये अधिकार , हम सब प्रकृति से ही तो लेते हैं रंग उधार….
आपको मालूम है क्या कि प्रकृति के colouring box मे कितने रंग होते हैं ?
कभी सोचा है आपने …हम सभी को भी अपने आप को अलग -अलग रंग मे रंगना होता है…
अपने आप को रंगने के लिये हम भावनाओं का सहारा लेते हैं …
कितनी सारी भावनायें भगवान ने हमे दे रखी है …
सुबह -सुबह उठते ही हमे ये मालूम पड़ जाता है कि, आज का दिन कैसा गुजरने वाला है….
जहाँ तक प्रकृति का सवाल है ? उनके colouring box को देखिये…
आपकी कल्पना से परे रंग होते हैं प्रकृति के पास …..
आप छोटे बच्चों जैसे जिद्द करके,क्रूर बनकर, प्रकृति से वो रंग छीन नहीं सकते…
कई सारे कीड़े ,पेड़ ,पौधे और फूल तो ऐसे -ऐसे रंग के होते हैं ! जिन्हें हमने आज तक कभी देखा भी नहीं होता है ….
पेड़ पौधे और जीव जन्तुओं को अपना बनाइये ….
दिखाई देंगे सारे रंग आपके व्यक्तित्व मे…
आपकी भावनाओं मे आपकी सोच मे और आपके व्यवहार में…
ऐ प्रकृति तुम क्या हो,कितने रंग छुपाये तुमने
बोलो कहाँ से लायी हो ?
इतने सारे फूल अपार ,दिखे उनके रंग हजार
बोलो कहाँ से लायी हो ?
बोले बड़े बुजुर्ग बारम्बार, सात रंग की दुनिया सारी
बोलो कहाँ से लायी हो ?
नीला नीला है , आकाश उसमे दमके सूर्य भगवान
रंग पीला चमकीला ,बोलो कहाँ से लायी हो ?
चाँदी जैसा चंदा चमका , साथ मे चमके तारे हजार
बोलो कहाँ से लायी हो ?
वृहत समुद्र नीला सा , जिसका है न आर और पार
बोलो कहाँ से लायी हो ?
हरे हरे पत्ते वनस्पतियों के, बतलाते समृद्धि धरा की
बोलो कहाँ से लायी हो ?
इन्द्रधनुष है प्यारा सा , दिखता बड़ा निराला सा
इसमे भी हैं रंग गुलाल, बोलो कहाँ से लायी हो ?
दिखती चिड़िया छैल छबीली , चोंच उसकी रंग बिरंगी
बोलो कहाँ से लायी हो ?
मानव की फितरत बेकार….
चुराये तुमसे रंग हजार….
फिर भी पूछे बारम्बार …
ऐ प्रकृति तुम क्या हो ?
हम सभी के जीवन मे कभी न कभी तो Negativity आती ही है …
उसको अपने से दूर रखने के लिये , प्रकृति के बीच में जाना चाहिये ..
मालूम भी नहीं पड़ेगा कब नकारात्मक सोच, धूमिल होने लगती है….