” श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत सारी शुभकामनायें “
हिंदू धर्म मे भक्ति रूप प्राचीन काल से ,अपने अलग-अलग रूप मे दिखता है ….
कहा भी गया है भगवान भाव के भूखे हैं ,आडम्बर के नही…
सावन मास आते ही मेघों की गर्जना…
भाद्रपद के आने की आहट…..
हिंदू समाज मे सावन मास भोले बाबा को सर्मपित….
भाद्रपद मे कान्हा जी के जन्मोत्सव की धूम…..
कान्हा जी का और भारतीय जनमानस का, अलग ही साथ होता है …
कृष्ण जन्माष्टमी का उत्साह और अंर्तद्वंद , भक्ति के भाव मे डूबकर हमसे भी कुछ लिखवा गया…
ए कान्हा जी !आओ न !
नन्द के लाल बन कर आना…
बाँके बिहारी बन कर आना…
माखन चोर बन कर आना…
लेकिन !आना जरूर …
तुम्हारा माखन चोर का रूप तुम्हें, छलिया रूप से दूर रखता है …
दिखाया था न तुमने माता यशोदा को ,मुख के भीतर सारा ब्रम्हाण्ड…..
सारा विश्व तुम्हारे जन्मोत्सव की तैयारी कर रहा है …
मंदिरों मे घंटों की आवाज के साथ..
हरे कृष्णा..हरे रामा... का लयबद्ध स्वर गूंज रहा है…
कहाँ खड़े-खड़े मुस्करा रहे हो ..
बाँके बिहारी ! अब छल मत करवाना… …
मालुम था क्या तुम्हे ,कलयुग मे ऐसा भी होगा …?
तुम्हारे छलिया रूप ने, कितनो का विश्वास धरा होगा…
क्यूँ करवाते हो ऐसा छल तुम ?
फिर भक्तों से अपना आडंबर भी करवाते हो…
बनते हो माखन चोर...
बनते हो बांके बिहारी …
बनते हो पीताम्बर धारी...
ये कैसी है महिमा तुम्हारी …
मुझे डाला है किस छल मे…
ये तो तुम्हे बताना ही होगा…
और वो बताने के लिये माखन चोर! तुम्हें ही आना होगा..
आना तो मानस रूप मे आना ..
भक्ति भाव मे आना लेकिन ! आना जरूर …
मन की दुविधा को दूर कराना है …
तुम्हारे ऊपर जो विश्वास बना है, उसे और बढाना है..
इतना क्यों और क्या सोचते हो ?
तुम्हारी मंद-मंद मुस्कान ने ,न जाने कितने छल देखे होंगे….
क्या सोचा था तुमने ! ऐसे ही भाग लोगे ?
कदंब की डाल पर बैठोगे ….
यमुना के तीर पर कंदुक से खेलोगे…
बचपन से आजतक तुम्हारा जन्मोत्सव मनाती रही हूँ…
अच्छा अच्छा खाना त्यागकर ,तुम्हे ‘माखन मिश्री’ चढ़ाती रही हूं….
कहाँ छुपोगे ?
दौड़ोगे और भागोगे..
भागोगे भी तो ,छल से भागोगे …
लेकिन क्या अपने भक्तो के विश्वास को, तोड़ पाओगे ?
आओगे तो तुम जरूर….
देवताओं के छल को, माता ‘अनुसूया‘ ने रंगे हाथो पकड़ा था….
ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश को बाल रूप मे धरा था …
अब क्या बोलोगे ! बोलो तो समझूँ ?
तुम्हारा मन भी टटोलूं…
मत करना धर्म और अधर्म पर, सोचने पर मजबूर…
ए कान्हा! आना जरूर ….
था जो विश्वास! जनमानस के लिए मन मे ….
वो एक बार फिर से खोजना जरूर …
इतना कलुषित क्यूँ करते हो किसी का मन ?
कि छल करने मे भी न आये , लज्जा और शरम…
इसी लिये आना…
लेकिन ,ए कान्हा ! आना जरूर …
“भगवान ही सबसे उत्तम सहारा है,
जो हमारे अंदर positivity के साथ, आत्मविश्वास लाते हैं….
जो इनके सहारे को जानता है ,वह Nigativity से दूर ….भय ,चिन्ता ,दुख
से हमेशा मुक्त रहता है “
( सभी चित्र internet के सौजन्य से )
Listen to Krishna janmashtmi by Mrs Vachal #np on #SoundCloud https://soundcloud.com/user-356732811/krishna-janmashtmi-2मेरे फॉलोअर और रीडर अगर आप मेरी इस पोस्ट को मेरी आवाज मे सुनना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं
1 comment
“You need not be afraid of where you are going when you know god is going with you.” it is rightly quoted by somebody.
A nice illustration on Kanha Ji – a favourite god of Janmanas.
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