कलम या लेखनी हमेशा ही पूज्यनीय होती है I स्कूल कॉलेज का ज्ञान बिना कलम के अधूरा होता हैI लेखकों का और कलम का बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है I एक लेखक के हाथ में आते ही कलम उसके विचारों से ,सहजता से जुड़ जाती हैI अलग अलग शब्दों फिर वाक्यों से कागज को भरती जाती है I अशक्त सी दिखने वाली कलम न जाने कितनी कविता कहानियाँ लिखवाती जाती है I खुद के बारे मे लिखवाते समय लेखक को हर्षित करती जाती है I
Ai Kalam Tumhe Salam
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