२३ अगस्त २०२३ का दिन भारत वर्ष के लिए अविस्मरणीय दिन , इतिहास के पन्नों में गर्व के साथ शामिल दिन…
इस दिन ने मुझे जयशंकर प्रसाद की कुछ पंक्तियाँ याद दिला दी….
और यह क्या तुम सुनते नहीं
विधाता का मंगल वरदान
शक्तिशाली हो विजयी बनो
विश्व में गूंज रहा जय गान
ऐसा लगा मानों भारतवर्ष सारे विश्व के सामने, गौरव के साथ इन पंक्तियों को तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गा रहा हो।
इसरो के वैज्ञानिकों के सराहनीय प्रयास ने भारतवासियों का मस्तक गर्व से ऊँचा कर दिया।
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उपलब्धियों ने जो नए आयाम छुए हैं ,उसकी शुरुआत साइकिल और बैलगाड़ी की यात्रा की भी रही है।
शायद यही कारण है हर संघर्षशील भारतीय ,अपने आप को चंद्रयान ३ की सफलता से जोड़ रहा है ,और अपनी ख़ुशी को प्रकट कर रहा है।
इस ऐतिहासिक सफलता के साथ ही चंद्रयान ३ का लैंडर अपने रोवर प्रज्ञान को बहार निकालेगा ,और ऐसी संभावनाओं का अध्ययन करेगा जो अभी तक सिर्फ कल्पनाओं में ही सीमित थी। जिसमे चन्द्रमा की सतह ,खनिज ,मिट्टी ,इतिहास जल और जीवन की भी सम्भावना है।
हमारे विचार से विश्व की अधिकांश जनता भारत के ज्ञान से परिचित नही है। मुसीबतों परेशानियों और असफलताओं की आँधियाँ आती रही हैं।
भारत का सोना चाँदी बटोर कर ले जाती रही हैं। विदेशी समझते हैं वे भारत को लूट रहे हैं , किन्तु प्रबुद्ध भारत उनकी इस अज्ञानता को परे रख कर अपने लक्ष्यों को पूरा करता रहा है और करता रहेगा।
बीता हुआ कल चंद्रयान ३ की सफलता के बारे में सोचते हुए , अपनी धड़कनों को नियंत्रित करने के प्रयास में था। आज का दिन सफलता को
देखने पढ़ने और सुनने का है।
इसरो के वैज्ञानिकों का सराहनीय प्रयास और उनकी टीम भावना के लिए मन आदर और सम्मान के भाव प्रकट कर रहा है।