विश्व पर्यावरण दिवस – 2019″ मुख्य रूप से ‘वायु प्रदूषण’ की समस्या को सामने ला कर लोगों को जागरूक कर रहा है।
जन जागरूकता और जन सहयोग की बात को ध्यान मे रखकर, वायु प्रदूषण के कारण और समाधान आगे आ रहे हैं।
जन जागरूकता हमेशा जरूरी होती है,छोटी सी बात अगर ध्यान दीजिए तो! महानगरों मे गाड़ियाँ चलाते समय लोग,अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दिखते है।
सीट बेल्ट बाँधने की जरूरत को सुरक्षा के मद्देनजर, अपनी आदत मे ढाल चुके हैं।
लेकिन! आश्चर्य मे डालती है यह बात कि, खुद की गाड़ियों से निकलने वाले धुएँ, सार्वजनिक परिवहन से निकलने वाले धुएँ को, प्राण वायु समझकर शरीर के भीतर पहुंचा रहे हैं।
केवल गाड़ियों की अधिक संख्या और ,उनसे निकलने वाला विषैला धुंआ ही, वायु प्रदूषण के लिये जिम्मेदार है, यह बात भी पूरी तरह से सही नही।
विकास के नाम पर कल कारखानों की संख्या मे बढोतरी, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, सरकार का ढुलमुल रवैया भी ,सामूहिक रूप से वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है ।
महानगरों की अगर बात करें तो ….
महानगरों मे रहते हुए, प्रदूषण की समस्या से जूझना …..
हर इंसान के जीवन की समस्या है…..
जीवन चाहे मनुष्य रूप मे हो….
वनस्पति के रूप मे हो….
कीट पतंगों या परिंदों के रूप मे हो…..
वायु प्रदूषण के कारण जीवन के लिए, संघर्ष करता है….
घरों के भीतर,कार्य स्थलों पर,सार्वजनिक स्थानों पर…
दम घोंटने वाली हवा और, धुंए का होता है साथ…..
विश्व स्तर पर अगर देखिये तो,किसी भी शहर को हानिकारक गैस का चैम्बर बनाना, सामूहिक कार्य होता है।
कई देशों मे किये हुए शोध यह बताते हैं कि,वातावरण मे नाइट्रोजन डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड व कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा बढ़ने से कैंसर ,टीबी,अस्थमा और तमाम तरह की एलर्जी और, घातक बीमारियो के होने की संभावना कई गुना बढ़ चुकी है।
आकाश को छूती हुई निर्माणाधीन इमारतों से निकलने वाले धूल के कण, वातावरण को जहरीला बना रहे हैं।
विकास की मार सबसे ज़्यादा वनस्पतियों और पहाड़ों ने झेली है।
यह बात व्यवहारिक और, वैज्ञानिक रूप से सिद्ध और सत्य है कि, वायु प्रदूषण को सबसे ज्यादा वनस्पतियाँ अवशोषित करती हैं।
फिर पेड़ों की कटाई, विकास के नाम पर क्यों ?
पाॅलीथीन जैसी हानिकारक चीजों का उत्पादन क्यों ?
जहाँ वायु प्रदूषण का कारण ,सामूहिक कार्य होता है, वहीं इसका निदान या वायु प्रदूषण को कम करना सामूहिक प्रयास होता है।
अट्टालिकाओं के शहर मे वृक्षारोपण सबसे बड़ी जरूरत है।
जन जागरूकता नि:संदेह जरूरी है।
जब देश आर्थिक विकास के लिए आगे बढ़ रहा हो,उस समय वायु प्रदूषण से पूरी तरह निपटना, असंभव सा लगता है।
लेकिन! छोटे छोटे प्रयास,कई स्तरों पर किये जाने वाले प्रयास, काफी हद तक लाभदायी होंगे।
वायु प्रदूषण केवल एक शहर को केंद्र मानकर, सुलझने वाली समस्या नही है।
यह विश्व स्तर पर ,महानगरों के स्तर पर ,छोटे शहरों, कस्बों,गांव के स्तर पर किया जाने वाला सामूहिक प्रयास है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के मानकों को कठोरता से लागू करना पड़ेगा ।
तभी हम प्राण वायु को, सही मायने मे जीवन को जीने के योग्य रख पायेंगे, और स्वस्थ जीवन जी पायेंगे।
(चित्र pixabay से )