चश्मों के पीछे मासूम आँखें
चश्मों की दुकानों पर देखो लगी हुई है
कोई बच्चा अपनी माँ की गोदी मे लटका…
किसी ने अपने पांव पर अभी तो शुरू किया था चलना
कम ही बच्चे बिना चश्मे के दिखते…
आँखों के डाक्टरों की दुकान भी
भावों का आदान-प्रदान..
मासूम सी आँखें झाँकती…
इतने प्रदूषण और गैजेट्स की भीड़ मे…
चारों तरफ दिखाई देते…
चश्मों की सुन्दरता मे खो जाता….
बचपन के मेले के दिन याद…
जीवन की आपाधापी या प्रदूषण की अधिकता..
चश्मों के पीछे छुप जाती ….
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