मनोरंजन का सीधा सादा सा अर्थ,मन की खुशी होता है ….
हर व्यक्ति अपने अपने स्वभाव के अनुरूप, मन को खुश करके ,अपने जीवन मे नई ऊर्जा को भरता है….
अगर आप दिल्ली शहर के निवासी हैं तो, इस बात को बहुत अच्छे से महसूस कर पायेंगे….
सप्ताह के अंत होने के पहले ही लोग,मनोरंजन के उद्देश्य से घूमने फिरने वाली जगहों के बारे मे, बातचीत करते नज़र आयेंगे……
समाचार पत्र या संचार के अलग अलग माध्यम भी, विभिन्न कार्यक्रमों के बारे मे बता जाते हैं…
अगर आप की दिलचस्पी, उन कार्यक्रमो को देखने मे है तो ,मोबाइल और लैपटॉप की दुनिया से दूर ,इन कार्यक्रमों का मजा लिया जा सकता है…..
आदत के मुताबिक अखबार को पढ़ते समय, हमारी नज़र भी इस तरह की खबरों वाले पन्ने पर ठहर जाती है…ठीक उसी पन्ने पर ,दिल्ली एन सी आर के सिनेमा हाॅल मे लगी हुई मूवी भी नज़र आ जाती है…..
सामान्यतौर पर वीकेंड के टिकट, और कामकाजी दिनों के टिकट मूल्य मे, काफी अंतर होता है……
अगर आप का इरादा! ज्यादा भीड़भाड़ के बिना मूवी देखने का है तो,कामकाजी दिनों मे सुबह का शो देखना सबसे सही रहता है…..
बीते हुये दो हफ्तों मे देखी गई दो पिक्चर ने मुझे, भारतीय समाज की दो तस्वीरों से काफी करीब से अपने अंदाज मे परिचय कराया……
पहला राजनीति और दूसरा देशभक्ति ….
“द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” मूवी जो 11जनवरी को रिलीज हुई, राजनीतिक पृष्ठभूमि पर लिखी उपन्यास पर आधारित थी….
लेखक “संजय बारू”के बेधड़क लेखन के जरिये, राजनीतिक जगत मे हलचल लाती हुई दिखती है…..
एक लेखक का अपना अनुभव,राजनीतिक खुर पेंच को समाज के सामने लाना…..
निर्माता निर्देशक का अपने तरीके से कहानी को, चलती फिरती कहानी मे सजीव ढंग से उतारना…..
संजय बारू की भूमिका निभाते हुए “अक्षय खन्ना”अपनी उपस्थिति से पिक्चर मे जान डाल देते हैं….
ज़रा सी बोझिल शुरुआत लगती है ,लेकिन अपनी लय मे पिक्चर बाँध लेती है…..
अनुपम खेर निश्चित रूप से बेहतरीन कलाकार है….
खुद को अपने पात्र मे, पूरी तरह से ढालते नज़र आते हैं…..
राजनीतिक मजबूरियाँ,फायदे,ब्यूरोक्रेसी और राजनीति का तारतम्य,पावर का खेल सब कुछ बखूबी नज़र आ रहा था…..
देश का प्रधानमंत्री भी कठपुतली समझ मे आ रहा था…..
कंधा किसी का!..बंदूक किसी की!…निशाना किसी पर!…घायल कोई !वाली बात इस पिक्चर को देखने पर वास्तविक लगती है….
एक निश्चित समय सीमा के भीतर, भारतीय राजनीति के देश के विकास पर पड़ते हुए सकारात्मक और नकारात्मक असर को, लेखक की कहानी बखूबी से दिखाती है…..
कुल मिलाकर, कलम की ताकत की बात, बतला जाती है…..
दूसरी पिक्चर “उरी द सर्जिकल स्ट्राइक”सत्य घटना पर आधारित है….
निश्चित तौर पर,भारतीय सेना की वर्दी का गौरव, यहाँ पर दिखता है….
इंटेलिजेंस ब्यूरो और,सेना का आपसी तालमेल…..
देश की सुरक्षा की बात सर्वोपरि….
शौर्य, पराक्रम, वीरता,लक्ष्य के प्रति एकाग्रता, मानसिक संतुलन,देशभक्ति की भावना से भरी हुई यह पिक्चर…..
सच कहो तो दर्शकों को अंत तक, अपनी सीट से बांध कर रखती है…..
निर्देशक “आदित्य धर” का कुशल निर्देशन सामने दिखता है…..
नायक विकी कौशल ,आर्मी आफीसर के बेहतरीन अभिनय के साथ पूरी फिल्म मे छाये से लगते हैं
कुशल संवाद अदायगी, पात्रों की भूमिका के प्रति न्याय के साथ, थोड़ी बहुत कमियाँ!बहुत बारीकी से देखने पर दिखती है….,
सत्य घटना पर आधारित होने के कारण, और पड़ोसी मुल्क पर सर्जिकल स्ट्राइक की घटना को आँखों देखी देखना…..
दर्शकों को रोमांच और जोश से भर देता है……
हमारे विचार से रोमांटिक सिनेमा के दौर से हटकर,भारतीय दर्शकों का मूवी के प्रति बदलता हुआ नजरिया……
इन दोनों पिक्चर की, लोकप्रियता को देखने से पता चलता है…..
आज का हर उम्र का दर्शक!अपने देश की राजनीति और राजनीतिज्ञ के साथ…..
सेना के युद्ध कौशल,शौर्य और पराक्रम से ,अपने आप को जुड़ा हुआ महसूस करता है….
दोनो की बारीकियों को देखना और समझना चाहता है….
इन दोनो पिक्चर को देखने के बाद,और लोगों की प्रतिक्रिया को सुनने के बाद…
मनोरंजन की दुनिया का यह बदलाव सामने दिख जाता है …..
(सभी चित्र internet से )
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बहुत अच्छा लगा मनोरंजन जगत में ऐसा बदलाव।
आपके लेखन का अंदाज भी कुछ खास लगा
कुछ अलग लिखने की कोशिश थी
टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद 😊